चुगली का पाप

(English Version: The Sin of Gossip)
अटलांटा पत्रिका के लिए लिखने वाले खेल- लेखक मार्गेन ब्लेक ने ऐसा लिखा है :
“ मैं, तोप से निकले तेज गोल से भी अधिक प्राणघातक हूँ | मैं बिना हत्या किये ही जीत जाता हूँ | मैं घरों को ढा देता हूँ, दिलों को तोड़ता हूँ और जीवनों को बर्बाद कर देता हूँ | मैं हवा के पंखों पर सवार रहता हूँ | कोई भी निष्कपटता इतनी ताकतवर नहीं कि मुझे डरा सके | कोई भी शुद्धता इतनी शुद्ध नहीं कि मुझे धमका सके | मुझे किसी सत्य की परवाह नहीं है, न्याय के लिए मेरे मन में कोई आदर नहीं है, निस्सहाय लोगों के लिए कोई दया नहीं | समुद्र के तीर के अनगिनत बालू के समान मेरे शिकार भी अनगिनत हैं और अधिकाँशत: मेरे शिकार बनने वाले लोग, बेगुनाह होते हैं | मैं कभी भूलता नहीं और कदाचित ही क्षमा करता हूँ, और मेरा नाम है, ‘ चुगली ’ | ”
चुगली के प्राणघातक सामर्थ का कैसा जीवंत चित्रण ! इसमें अपरिवर्तनीय क्षति पहुँचाने की सामर्थ है |
चुगली क्या है?
इस किस्से में “ चुगली ” शब्द ( दूसरे अनुवादों में “कानाफूसी करने वाला” के रूप में भी अनुवाद किया गया है ) का अर्थ है घूमते- फिरते हुए किसी की पीठ पीछे “ आलोचना ” या “ निंदा ” करना | एक डिक्शनरी इसे ऐसा परिभाषित करती है, “ इधर उधर फिरते हुए झूठी अफवाह फैलाना | ”
चुगली, किसी व्यक्ति के चरित्र का नाश करने और उस व्यक्ति को नकारात्मक छवि के साथ प्रस्तुत करने के लिए, विशेष रूप से निर्मित वार्तालाप है | यह आमने – सामने नहीं बल्कि पीठ पीछे किया जाने वाला संवाद है | चुगली, चरित्र का नाश करती है, प्रतिष्ठा को ध्वस्त करती है, शान्ति को ख़त्म करती है और कई रिश्तों को तोड़ती है | तलवार भी एक चुगली करने वाली जीभ के समान गहरा घाव नहीं देती है ! इसीलिए, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है, कि बाईबल इस पाप के बारे में बहुत कुछ कहती है |
चुगली के द्वारा की जाने वाली क्षतियाँ
रोमियों 1:29 में “ चुगली ” को उन कई पापों में से एक पाप के रूप में दिखाया गया है जो किसी अविश्वासी के जीवन की पहचान है | नीतिवचन 16:28 हमें स्मरण दिलाता है कि, “ कानाफूसी करने वाला परम मित्रों में भी फूट करा देता है | ” कोई आश्चर्य की बात नहीं कि परमेश्वर ने आरंभिक चरण में ही अपने लोगों को लैव्यव्यवस्था 19:16 में इन शब्दों के साथ कड़ी चेतावनी दी, “लुतरा ( चुगली करने वाला ) बनके अपने लोगों में न फिरना … मैं यहोवा हूँ |”
चुगली के साथ बुनियादी समस्या यह है कि इसमें अपरिवर्तनीय क्षति पहुँचाने की क्षमता है |
मध्य युग समयकाल में रहने वाले एक जवान की कहानी प्रचलित है, जिसने एक सन्यासी के पास जाकर कहा, “ मैंने किसी की बदनामी करने का पाप किया है | अब मैं क्या करूँ ? ” सन्यासी ने जवाब दिया, “ शहर के प्रत्येक घर के दरवाजे पर एक पंख रख दे | ” उस जवान ने वैसा ही किया | फिर वह यह सोचते हुए सन्यासी के पास लौटा कि अब उसे और क्या करना होगा |
सन्यासी ने उससे कहा, “ वापस जाओ और उन सारे पंखों को बटोर लो | ” उस जवान ने उत्तर दिया , “ यह असंभव है ! अब तक तो हवा से वे सारे शहर में फ़ैल चुके होंगे | ” तब सन्यासी ने कहा, “ इसी प्रकार, तुम्हारे द्वारा की गयी बदनामी की बातों का बदलना भी असम्भव बन गया है | ” तो, ऐसा है, चुगली का प्रभाव !
चुगली का इलाज
चुगली की समस्या का एक समाधान नीतिवचन 26:20 में पाया जाता है : “जैसे लकड़ी के न होने से आग बुझती है, उसी प्रकार जहाँ कानाफूसी करनेवाला नहीं, वहाँ झगड़ा मिट जाता है |” जैसे लकड़ी के न होने से आग बुझ जाती है, उसी प्रकार जहाँ चुगली नहीं होती, वहाँ झगड़ा मिट जाता है | तो आपने देखा, चुगली ऐसे जगह में फलती-फूलती है, जहाँ उसे बढ़ावा दिया जाता है | तो, यदि हम चुगली सुनने से दूर रहेंगे तो फिर चुगली के कारण होने वाले दुष्परिणाम, जैसे झगड़े, रिश्तों का टूटना इत्यादि भी हमसे दूर रहेंगे |
विश्वासियों को चुगली की आग को निरंतर जलते रहने में सहायता करने वाला ईंधन नहीं बनना चाहिए | हमें ऐसे जगह से, जहां चुगली हो रही हो, दूर हो जाना चाहिए | ऐसा करना आसान नहीं है क्योंकि चुगली के पाप में आकर्षित करने की सामर्थ है, जैसा कि नीतिवचन 26:22 में बताया गया है, “कानाफूसी करनेवाले के वचन, स्वादिष्ट भोजन के समान भीतर उतर जाते हैं |” जिस प्रकार से स्वादिष्ट भोजन को “ नहीं ”, कहना कठिन होता है, उसी प्रकार किसी रसीले समाचार के लिए हमारे कान को बंद करना भी कठिन होता है !
परन्तु हमें यह अवश्य स्मरण रखना चाहिए कि चुगली एक पाप है, और इसमें कोई दो राय नहीं है ! हमारा प्रभु चुगली से घृणा करता है और इसलिए हमें चुगली सुनने से स्वयं को रोकने के लिए संघर्ष करना चाहिए | दूसरों के मुँह से निकली बातों को हम नियंत्रित नहीं कर सकते | परन्तु हम अवश्य ही यह नियंत्रित कर सकते हैं कि हमारे कानों से क्या अन्दर जाए | बोलने के लिए मुँह तभी खुलते हैं जब सुनने के लिए कान खुले होते हैं | इसलिए, आईये हम अपने कानों को चुगली के सामने बंद हो जाने के लिए प्रशिक्षित करें |
हमें चुगली करनेवाले को दो बातें बड़े ही प्यार, परन्तु दृढ़ता से बता देनी चाहिए :
- हमें उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे सीधे उन व्यक्तियों के पास जायें जिनकी वे बुराई कर रहे हैं और उस मुद्दे पर सीधे उनसे बात करें |
- हमारे कान भविष्य में चुगली के लिए खुले हुए नहीं मिलेंगे |
साथ ही साथ चुगली सुनने से दूर रहने के लिए दो और बातों को स्मरण रखना सहायक हो सकता है |
पहली बात, हमें यह समझना होगा कि दूसरों के प्रति प्रेम का अभाव, इस पाप का बुनियादी कारण है | जब लोगों के प्रति हमारा प्यार कम होने लगता है या फिर समाप्त हो जाता है, तो फिर हम उन्हें नकारात्मक रूप से देखने लगते हैं और इस प्रकार उनकी बुराई करने के लिए हम अधिक इच्छुक हो जाते हैं | इसलिए, यदि हम चुगली के पाप से दूर रहना चाहते हैं तो हमें अपनी रक्षा करनी होगी ताकि हममें दूसरों के प्रति कड़वाहट न पनपने पाये (इफिसियों 4:29-32) | यहाँ तक कि यदि लोगों ने हमें चोट भी पहुँचाया हो और हमें लगता हो कि उनकी बुराई करके उनसे बदला लिया जा सकता है, तब भी याद रखें, यह अब भी पाप ही है | हमारे कार्यों को सही सिद्ध करने के लिए सफाई देने से कुछ भी लाभ नहीं होगा | परमेश्वर, चुगली को पाप ठहराता है और बात यहीं ख़त्म हो जाती है !
दूसरी बात, मान लीजिए, किसी के लिए हमारे मन में कुछ है, तो फिर उस व्यक्ति के पीठ पीछे बात करने के स्थान पर सबसे अच्छा यही होगा कि इस विषय पर व्यक्तिगत प्रार्थना ( सार्वजनिक नहीं ) में समय व्यतीत करने के पश्चात उसके पास सीधा जाया जाये | मत्ती 18:15 में लिखा है, “यदि तेरा भाई तेरे विरुद्ध अपराध करे तो जा और अकेले में बातचीत करके उसे समझा…” | हालाँकि, कलीसिया में अनुशासन, इस आयत की पृष्ठभूमि है, तौभी, गैर – कलीसियाई सदस्यों के साथ भी व्यवहार करते समय, प्रत्यक्ष – पहुँच का यह सिद्धांत, एक सर्वोत्तम अभ्यास है |
यह कोई आसान कार्य नहीं होगा, तौभी हमें अवश्य ही यह विश्वास करना चाहिए कि इस आज्ञा का पालन करने के लिए प्रभु हमें आवश्यक सामर्थ प्रदान करेंगे ! इस प्रकार, इस आशा में होकर कि चुगली करने वाला व्यक्ति पश्चाताप करेगा, इस पाप की व्यक्तिगत एवं प्रत्यक्ष आलोचना करने के द्वारा हम दूसरे लोगों के पीठ पीछे उनकी बुराई करने से स्वयं को बचा सकते हैं |
हममें से कोई भी नहीं चाहेगा कि कोई हमारे पीठ पीछे हमारी बुराई करे | हम जानते हैं कि इससे कितनी चोट पहुँचती है | फिर हम दूसरों के विरुद्ध इस कार्य को क्यों करें ? हम दूसरों के साथ वह कार्य नहीं कर सकते हैं जो हम नहीं चाहते कि दूसरे हमारे साथ करें |
आईये, चुगली के पाप को गंभीरता से लें और यदि इस पाप से हम मुक्त होना चाहते हैं तो इन सिद्धांतों को अभ्यास में लाने का प्रयास करें | अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि, यदि हम इस पाप में हैं तो पश्चाताप करते हुए प्रभु के पास जायें | आईये, हम प्रभु से प्रार्थना करें कि, वार्तालाप की शुद्धता ( पवित्रता ) का पीछा करने के हमारे प्रयास में, वह हमारी सहायता करे | और आईये, बाईबल की इस प्रतिज्ञा में हम सांत्वना पायें, “यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है” (1 यूहन्ना 1:9) | परमेश्वर प्रतिज्ञा करता है कि “उसके पुत्र यीशु का लहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है” (1 यूहन्ना 1:7) |
आज, एक नई शुरुआत हो सकती है | अब यहाँ से, हम पवित्र आत्मा की सामर्थ पर निर्भर रहते हुए अपने होठों को चुगली करने से दूर रहने और अपने कानों को चुगली सुनने से दूर रखने के लिए प्रतिदिन परिश्रम कर सकते हैं | प्रेरित पतरस के वचन इस क्षेत्र में हमारी सोच को नियंत्रित करे, “जो कोई अच्छे जीवन की इच्छा रखता है, और अच्छे दिन देखना चाहता है, वह अपनी जीभ को बुराई से, और अपने होठों को छल की बातें करने से रोके रहे” (1 पतरस 3:10) |