प्रार्थना के 12 लाभ

(English Version: 12 Benefits of Prayer)
1. प्रार्थना, परमेश्वर के वचन की समझ को बढ़ावा देती है |
भजनसंहिता 119:18, “ मेरी आँखें खोल दे कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूं ” |
2. प्रार्थना, पवित्रता को बढ़ावा देती है |
मत्ती 26:41, “ जागते रहो, और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो : आत्मा तो तैयार है, परन्तु शरीर दुर्बल है ” |
3. प्रार्थना, नम्रता को बढ़ावा देती है |
सपन्याह 2:3, “ हे पृथ्वी के सब नम्र लोगों, हे यहोवा के नियम के मानने वालों , उसको ढूँढते रहो; धर्म को ढूँढो, नम्रता को ढूँढो; संभव है तुम यहोवा के क्रोध के दिन में शरण पाओ |
4. प्रार्थना, सुसमाचार प्रचार को बढ़ावा देती है |
मत्ती 9: 37-38, “तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, “ पके खेत तो बहुत हैं पर मजदूर थोड़े हैं | इसलिए खेत के स्वामी से विनती करो कि वह अपने खेत काटने के लिए मजदूर भेज दे ”|
कुलुस्सियों 4:3, “ … हमारे लिए भी प्रार्थना करते रहो कि कि परमेश्वर हमारे लिए वचन सुनाने का ऐसा द्वार खोल दे …” |
5. प्रार्थना, सेवाकार्य ( मिशन ) को बढ़ावा देती है |
प्रेरितों के काम 13:1-3, “अन्ताकिया की कलीसिया में कई भविष्यद्वक्ता और उपदेशक थे… जब वे उपवास सहित प्रभु की उपासना कर रहे थे, तो पवित्र आत्मा ने कहा, “ मेरे लिए बरनबास और शाऊल को उस काम के लिए अलग करो जिसके लिए मैंने उन्हें बुलाया है |” तब उन्होंने उपवास और प्रार्थना करके और उन पर हाथ रखकर उन्हें विदा किया | ”
6. प्रार्थना, सुसमाचार के फैलाव और लोगों के उद्धार को बढ़ावा देती है |
2 थिस्सलुनीकियों 3:1, “ अन्त में हे भाईयों, हमारे लिए प्रार्थना किया करो कि प्रभु का वचन ऐसा शीघ्र फैले और महिमा पाए, जैसा तुम में हुआ ” |
7. प्रार्थना, दृढ़ता को बढ़ावा देती है |
2 कुरिन्थियों 12:7-10, “ … मेरे शरीर में एक काँटा चुभाया गया, अर्थात शैतान का एक दूत कि मुझे घूँसे मारे ताकि मैं फूल न जाऊँ | इसके विषय में मैं ने प्रभु से तीन बार विनती की कि मुझसे यह दूर हो जाए | पर उसने मुझसे कहा, “ मेरा अनुग्रह तेरे लिए बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है…”| … क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूँ, तभी बलवंत होता हूँ ” |
8. प्रार्थना, परमेश्वर के प्रति और हमारे जीवन में परमेश्वर के उद्देश्यों के प्रति एक गहरी समझ को बढ़ावा देती है |
इफिसियों 1:15-19 अ, “ … अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें स्मरण किया करता हूँ कि हमारे प्रभु यीशु का परमेश्वर जो महिमा का पिता है, तुम्हें अपनी पहचान में ज्ञान और प्रकाश की आत्मा दे …कि तुम जान लो कि उसकी बुलाहट की आशा क्या है, और पवित्र लोगों में उसकी मीरास की महिमा का धन कैसा है, और उसकी सामर्थ्य हम में जो विश्वास करते हैं, कितनी महान है…” |
9. प्रार्थना, हमारे प्रति प्रभु यीशु के प्रेम की एक गहरी समझ को बढ़ावा देती है |
इफिसियों 3:14-19, “ मैं इसी कारण उस पिता के सामने घुटने टेकता हूँ … कि तुम प्रेम में जड़ पकड़कर और नेव डालकर, सब पवित्र लोगों के साथ भली- भाँति समझाने की शक्ति पाओ कि उसकी चौडाई, और लम्बाई और ऊँचाई, और गहराई कितनी है, और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है …” |
10. प्रार्थना, शैतान के आक्रमण के विरुद्ध प्रतिरोध को बढ़ावा देती है |
याकूब 4:7-8, “ इसलिए परमेश्वर के अधीन हो जाओ; और शैतान का सामना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा | परमेश्वर के निकट आओ तो वह भी तुम्हारे निकट आयेगा ” |
11. प्रार्थना, क्षमा को बढ़ावा देती है |
मत्ती 6:12, “ और जिस प्रकार हमने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर ” |
12. प्रार्थना, हमारे हृदय में शाँति को बढ़ावा देती है |
फिलिप्पियों 4:6-7, “ किसी भी बात की चिंता मत करो; परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित किए जायें | तब परमेश्वर की शाँति, जो सारी समझ से परे है, तुम्हारे ह्रदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी ” |
इस सूची में और भी लाभों को सम्मिलित किया जा सकता है | परन्तु इतनी बातें, व्यक्तिगत रूप से और कलीसिया के रूप में “ निरंतर प्रार्थना ” (1 थिस्सलुनीकियों 5:17) करने के लिए हमें प्रेरित करने हेतु पर्याप्त होनी चाहिए |