इस बात के तीन कारण कि क्यों एक मसीही (ईसाई) मृत्यु का सामना निधड़क होकर कर सकता है |

(English Version: 3 Reasons Why A Christian Can Confidently Face Death)
सारा विनचेस्टर के पति ने बन्दूक (राईफ़ल) बनाकर और बेचकर बहुत धन संपत्ति कमाई | सन् 1918 में इंफ्लुएंजा ( एक प्रकार का संक्रामक बुखार ) से उसकी मौत होने के बाद सारा ने अपने मृत पति से संपर्क करने के लिए, मरे हुए लोगों से संपर्क साधने का कार्य करने वाली एक जादू टोना करने वाली स्त्री ( भूतसिद्धि करने वाली स्त्री ) से सहायता ली | इस जादू टोना करने वाली स्त्री ने उससे कहा कि उसके मृत पति ने संभवत: उससे कहा, “जब तक तुम अपना घर (मकान ) बनाने का कार्य करती रहोगी, तब तक तुम्हारी मौत नहीं होगी” | सारा ने जादू टोना करने वाली स्त्री की बातों पर विश्वास करते हुए एक आधे-अधूरे पड़े महल को खरीदा जिसमें 17 कमरे थे और फिर वह उसे और बड़ा बनाने में जुट गई |
इस कार्य में उस समय 50 लाख डालर्स खर्च हुए, जिस समय एक दिन की मजदूरी 50 सेंट्स ( 1 सेंट = 1/ 100 डालर ) हुआ करती थी | यह कार्य लगातार चलता रहा और अंतत: तब जाकर रुका, जब 85 वर्ष की आयु में उसकी मौत हुई | उसने इतनी अधिक निर्माण सामग्री इकट्ठी कर रखी थी कि निर्माण कार्य को अगले 80 वर्षों तक जारी रखा जा सकता था | आज, वह घर उस मृत्यु के भय के मूक गवाह के रूप में खड़ा हुआ है, जिस भय ने लाखों लोगों को अपना गुलाम बना रखा है |
परन्तु, बाईबल कुछ कारणों को बताती है कि क्यों लोगों को मृत्यु के भय में जीने की आवश्यकता नहीं है | परन्तु इससे पहले कि हम उन कारणों पर विस्तृत रूप से चर्चा करें, आईये हम एक सरल प्रश्न को पूछें और उसका उत्तर दें: मृत्यु क्या है ? सरल शब्दों में कहें तो, मृत्यु एक अलगाव है | यही बुनियादी उत्तर है | अब, बाईबल तीन प्रकार के मृत्यु के बारे में बताती है |
1. शारीरिक (भौतिक) मृत्यु : यह मृत्यु है, भौतिक शरीर से आत्मा का अलग होना | इब्रानियों 9:27 में हमें यह शिक्षा दी गयी है कि सभी “मनुष्यों के लिए एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है” | बाईबल इस बात को स्पष्ट करती है कि किसी भी प्रकार का पुनर्जन्म नहीं होता है | ध्यान दीजिए कि यह पद्य स्पष्ट रूप से बताती है कि सभी मनुष्य “एक बार मरेंगे” | कई बार नहीं |
2. आत्मिक मृत्यु : यह मृत्यु है, शरीर और आत्मा का परमेश्वर के जीवन से अलग होना| इफिसियों 2:1 हमें यीशु के बिना जीवित रहने वाले एक व्यक्ति की अवस्था को बताता है, “तुम्हें… जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे” | हम सब इस संसार में आत्मिक रूप से मरे हुए आते हैं | यह अवस्था शारीरिक (भौतिक) मृत्यु की ओर ले जाती है और यदि कोई उस जीवन को स्वीकार न करे जो यीशु उन्हें दे सकता है तो फिर आत्मिक मृत्यु की यह अवस्था अंतत: अनन्त मृत्यु की ओर ले जाती है |
3. अनन्त मृत्यु : यह मृत्यु है, इस धरती पर जीवित रहते समय यीशु का इंकार करने के कारण आत्मा और शरीर दोनों का परमेश्वर से सदाकाल का अलग होना| प्रकाशितवाक्य 20:15 हमें ऐसे मनुष्यों के अंतिम ठिकाने के बारे में शिक्षा देती है, “और जिस किसी का नाम जीवन कीं पुस्तक में लिखा हुआ न मिला, वह आग की झील में डाला गया” | जिन्हें इस मृत्यु का अनुभव होगा वे सदाकाल के लिए नर्क में रहेंगे |
मृत्यु के संबंध में इस आवश्यक समझ के साथ आईये हम तीन कारणों को देखें कि क्यों मसीही लोग मृत्यु का सामना निधड़क होकर कर सकते हैं |
कारण # 1 . मसीही के ऊपर मृत्यु का कोई अधिकार नहीं है |
जब प्रभु यीशु मसीह इस धरती पर आये, तो उन्होंने मनुष्य के रूप में मानव देह धारण किया, एक सिद्ध जीवन व्यतीत किया और हमारे पापों के दण्ड को सहने के लिए हमारे स्थान पर ( स्थानापन्न के रूप में ) मर गए और पुन: जी उठे | इसके परिणामस्वरूप, जो लोग अपने पापों की क्षमा के लिए प्रभु यीशु पर भरोसा करते हैं उन्हें इस बात का भरोसा होता है कि वे भविष्य में किसी भी प्रकार के दण्ड का सामना नहीं करेंगे | वे लोग कभी भी अनन्त मृत्यु का अनुभव नहीं करेंगे | इतना ही नहीं, अभी वर्तमान में भी, उन्हें मृत्यु के भय में जीने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यीशु आया कि “जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फँसे थे, उन्हें छुड़ा ले” (इब्रानियों 2:15) |
आपने देखा, शारीरिक (भौतिक) मृत्यु तो अगले जीवन के लिए एक मार्ग मात्र है—एक विश्वासी की बात करें तो यह अगला जीवन है, परमेश्वर की उपस्थिति में सदाकाल का जीवन | यह सोने और जागने के समान है | यह कोई अचरज की बात नहीं है कि बाईबल एक मसीही की मृत्यु की तुलना “नींद” से करती है (1 कुरिन्थियों. 15:51; 1 थिस्सलुनीकियों 4:13) | वास्तव में मसीही के ऊपर मृत्यु का कोई अधिकार नहीं है और यही वह पहला कारण है कि हम क्यों मृत्यु का सामना निधड़क होकर कर सकते हैं |
कारण # 2 . मृत्यु, मसीही को तत्काल प्रभु की उपस्थिति में जाने में सक्षम बनाती है |
जब एक मसीही की मृत्यु होती है तो उसकी भौतिक देह कब्र में चली जाती है | परन्तु आत्मा तत्काल प्रभु की उपस्थिति में जाती है | पौलुस ने कहा कि वह “देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम” समझता है (2 कुरिन्थियों 5:8)| “देह से अलग होकर” से तात्पर्य है इस भौतिक देह से आत्मा के अलग होने की अवस्था और “प्रभु के साथ रहना” से तात्पर्य है, आत्मा का प्रभु की उपस्थिति में होना |
क्रूस पर, स्वयं प्रभु यीशु ने मन फिराने वाले डाकू से कहा, “मैं तुझ से सच कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा” (लूका 23:43) | परमेश्वर की उपस्थिति में होने की प्रतिज्ञा दूरस्थ भविष्य की वास्तविकता नहीं थी—यहाँ तक कि मृत्यु—समय से कुछ दिन बाद की भी नहीं—परन्तु, “आज ही” शब्द परमेश्वर के साथ तत्काल उपस्थिति को दर्शाता है | कोई प्रतीक्षा—अवधि नहीं है, प्रभु की उपस्थिति में जाने से पहले एक मसीही की आत्मा को रखने के लिए कोई अस्थाई स्थान नहीं है | यह मृत्यु के बाद तत्काल होता है | इस नियम का एकमात्र अपवाद तब देखने मिलेगा जब प्रभु यीशु दुबारा आयेंगें, उनके सभी चेले बिना शारीरिक (भौतिक) मृत्यु का अनुभव किए, तत्काल उनके साथ हो लेंगे (1 थिस्सलुनीकियों 4:16-17)| यह वह दूसरा कारण है कि क्यों मसीही लोग मृत्यु का सामना निधड़क होकर कर सकते हैं |
कारण # 3. मृत्यु (एक) मसीही को एक नया और सिद्ध देह पाने में सक्षम बनाती है |
जिस भौतिक देह के साथ हम इस संसार में आते हैं, वह देह पाप और रोग (बीमारी ) के अधीन है | इसी कारण से शारीरिक (भौतिक) मृत्यु होती है | परन्तु, जब भविष्य में मसीह अपने लोगों के लिए दुबारा आएगा तो सभी मसीही लोग सिद्ध और नया देह पायेंगे—पापमुक्त और रोगमुक्त देह | यहाँ तक कि वे मसीही भी जो मर चुके होंगे और जिनकी आत्मा प्रभु की उपस्थिति में चली गयी होगी, वे भी उस समय नई देह को पायेंगे |यह वह घटना है जिसे बाईबल, “महिमीकरण” कहती है | 1 कुरिन्थियों 15:51-52 इस प्रक्रिया का वर्णन करता है, “51 देखो, मैं तुम से भेद की बात कहता हूं: कि हम सब तो नहीं सोएंगे, परन्तु सब बदल जाएंगे | 52 और यह क्षण भर में, पलक मारते ही पिछली तुरही फूंकते ही होगा: क्योंकि तुरही फूंकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जांएगे, और हम बदल जाएंगे |”
भविष्य में हमें यह जो नई देह मिलने वाली है, उसके बारे में 1 कुरिन्थियों 15:42-44 में और भी अधिक विवरण दिया गया है, “42 मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशमान दशा में बोया जाता है, और अविनाशी रूप में जी उठता है | 43 वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है; और सामर्थ के साथ जी उठता है | 44 स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है: जबकि स्वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है |” इस नई आत्मिक देह को पुनरुत्थित देह, अविनाशी देह या महिमित देह भी कहा जाता है | यही कारण है कि हम ईसाई “हमारे शरीर के छुटकारे” का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।(रोमियों 8:23) | तो यह है तीसरा कारण कि आखिर क्यों मसीही (ईसाई) लोग मृत्यु का सामना निधड़क होकर कर सकते हैं |
इस प्रकार इस बात के 3 ठोस कारण हैं, 3 महान सच्चाईयाँ हैं कि क्यों एक विश्वासी मृत्यु का सामना निधड़क होकर कर सकता है | प्रथम, क्योंकि हमारे ऊपर मृत्यु का कोई अधिकार नहीं है; द्वितीय, क्योंकि मृत्यु, हमें तत्काल प्रभु की उपस्थिति में जाने में सक्षम बनाती है; और अंतत: इसलिए क्योंकि मृत्यु हमारी सहायता करती है कि हम एक नया और सिद्ध देह पा सकें |
ये महान सच्चाईयां मसीही लोगों को मृत्यु का सामना निर्भीकता से करने के लिए सक्षम बनानी चाहिए | तौभी कई बार, मसीहियों को कई प्रश्न जकड़ लेते हैं, जैसे कि, “मेरा क्या होगा ? क्या मैं इतना अशक्त हो जाऊँगा कि मुझे दूसरों के भरोसे रहना पड़ेगा ? क्या मुझे दर्द से होकर गुजरना पड़ेगा ? इत्यादि | यह विशेषतः तब होता है, जब वे बूढ़े होने लगते हैं या फिर जब वे गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं | हालाँकि ये सब बहुत तर्कसंगत कारण हैं, तौभी हमें परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं और सुरक्षा पर भरोसा रखना चाहिए और इस प्रकार बाईबल आधारित प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए | परमेश्वर ने प्रतिज्ञा किया है, “तुम्हारे बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही बना रहूँगा और तुम्हारे बाल पकने के समय तक तुम्हें उठाए रहूँगा | मैं ने तुम्हें बनाया और तुम्हें लिए फिरता रहूँगा; मैं तुम्हें उठाए रहूंगा और छुड़ाता भी रहूँगा” (यशायाह 46:4) |
यदि परमेश्वर की यही इच्छा हो कि हम शारीरिक तकलीफ से गुजरें, तो भी, इस बात को जानते हुए कि हमारे पिता ( परमेश्वर ) की इच्छा हमारे लिए सर्वोत्तम होती है, हम शांत और निर्भीक रह सकते हैं | वह हमें इस धरती पर की हमारी परदेस यात्रा में ले चलेगा और हमें स्वर्ग में हमारे निर्णायक घर में पहुँचायेगा (फिलिप्पियों 1:6) | प्रत्येक गुजरते हुए दिन के साथ हम प्रभु के साथ हो लेने के और नजदीक पहुँच जाते हैं | यह बात कठिन समय में विश्वासयोग्यता के साथ दृढ़ बने रहने में हमारी सहायता करनी चाहिए |
जहां एक ओर ये सब बातें एक मसीही के लिए महान सच्चाईयां हैं, वहीं यदि कोई व्यक्ति मसीही नहीं है तो उसका भविष्य अत्यंत अंधकारमय है | बाईबल बताती है कि जब एक अविश्वासी की मृत्यु होती है तो उसकी देह कब्र में जाती है, परन्तु आत्मा अधोलोक ( नर्क के समान ही एक स्थान ) में चली जाती है, जो कि पीड़ा का स्थान है (लूका 16:23)| वहीं पर अविश्वासियों की आत्मा अंतिम न्याय के दिन तक रहेंगी, अंतिम न्याय के दिन वे अनंतकाल के लिए नर्क में डाले जाने से पूर्व, पापों के अंतिम न्याय के लिए परमेश्वर के सम्मुख खड़े होने के लिए जिलाए जायेंगे | प्रकाशितवाक्य 20:13 बताता है कि सभी अविश्वासियों का न्याय “ हर एक के कामों के अनुसार ” किया जायेगा | अपने क्षमा न पाए हुए पापों के कारण वे “आग की झील में डाले जायेंगे” (प्रकाशितवाक्य 20:14) | सचमुच, एक भयानक और दुखद अंत !
हालांकि जिन्दगी का अंत इस तरह से होने की आवश्यकता नहीं है | अपने पापों से मन फिराकर और प्रभु यीशु पर भरोसा करके एक व्यक्ति आत्मिक जन्म का अनुभव पा सकता है और इस भयानक न्याय से बच सकता है, क्योंकि पाप के लिए परमेश्वर के द्वारा ठहराये दण्ड को प्रभु यीशु ने सह लिया है | यूहन्ना 5:24 में स्वयं यीशु मसीह ने प्रतिज्ञा किया, “मैं तुम से सच सच कहता हूँ, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; और उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है” | इस आयत में मसीह पर विश्वास करने वाले के लिए तीन प्रतिज्ञाएँ दी गयी हैं :
- उनके पास अभी अनन्त जीवन है |
- वे अपने पापों के लिए भविष्य में न्याय का सामना नहीं करेंगे |
- वे लोग आत्मिक मृत्यु को पार करके आत्मिक और अनन्त जीवन में प्रवेश कर चुके हैं, इस प्रकार वे अनन्त मृत्यु से बच गए हैं |
ये असाधारण प्रतिज्ञाएँ हैं, यदि इन पर विश्वास किया गया, तो ये एक व्यक्ति को मृत्यु के भय से मुक्त कर सकती हैं | हाँ, यह सच है कि मृत्यु से हमारी मुलाकात अनिवार्य है | कोई भी चिकत्सा योजना मृत्यु पर जय नहीं पा सकती | इब्रानियों 9:27 में स्पष्ट कहते है कि, “मनुष्यों के लिए एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है”| मृत्यु एक ऐसा समयादेश है जिसका पालन सबको करना है ! प्रति घंटे 10,000 लोगों की मृत्यु होती है | अभी या देर से आप भी इस गिनती में सम्मिलित होंगे |
क्या आप मृत्यु के लिए तैयार हैं ? यदि आप एक मसीही हैं तो निःसंदेह आप ऐसा कर सकते हैं | क्योंकि केवल एक मसीही ही विश्वासपूर्वक और आनंदपूर्वक गा सकता है, “हे मृत्यु, तेरी जय कहाँ रही ? हे मृत्यु, तेरा डंक कहाँ रहा ? परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो , जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्त करता है” (1 कुरिन्थियों 15:55,57) |