पापमय क्रोध और इसका कहर भाग 1: परिचय

(English version: “Sinful Anger – The Havoc It Creates (Part 1)”)
हम क्रोध के विषय पर या ठीक—ठीक कहें तो पापमय क्रोध के विषय पर एक लेख श्रृंखला आरंभ कर रहे हैं | अधार्मिक क्रोध एक ऐसा प्रचलित पाप है कि मसीही भी इससे लगातार पीड़ित होते रहते हैं | अनियंत्रित क्रोध के परिणामस्वरूप परिवार और कलीसिया के अन्दर लोगों के एक दूसरे के साथ रिश्ते भयानक रूप से प्रभावित होते हैं |
बाईबल में वर्णित प्रथम हत्या के पीछे क्रोध खडा था—कैन ने अपने भाई हाबिल की हत्या कर दी! परमेश्वर द्वारा हाबिल की भेंट को स्वीकार करने और कैन की भेंट को स्वीकार नहीं करने के परिणाम का वर्णन बाईबल इस प्रकार से करती है: “तब कैन अति क्रोधित हुआ, और उसके मुँह पर उदासी छा गई ” [उत्पत्ति 4:5ब] | बाईबल यह भी बताती है कि परमेश्वर ने उसे क्रोध के पाप के बारे में चेतावनी दी थी, “…तू क्यों क्रोधित हुआ? और तेरे मुँह पर उदासी क्यों छा गई है? 7 यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी और होगी, और तू उस पर प्रभुता करेगा” [उत्पत्ति 4:6-7] | इस स्पष्ट चेतावनी के बावजूद अपने अनियंत्रित क्रोध के कारण कैन ने अंततः हाबिल की हत्या कर दी! तो क्रोध इतना विनाशकारी हो सकता है!
हालांकि सभी पापमय क्रोध के परिणामस्वरुप हत्या नहीं होती है तौभी मत्ती 5:22 में यीशु मसीह द्वारा कहे गए ये शब्द हमें पापमय क्रोध के इस विषय को पूर्ण गंभीरता से लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए, “परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि जो कोई अपने भाई पर क्रोध करेगा, वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगा: |” इसीलिए, पापमय क्रोध के इस विषय के साथ बाईबल के आधार पर व्यवहार करने में सहायता के लिए यह लेख—श्रृंखला प्रस्तुत है |
आनेवाले लेखों में हम पापमय क्रोध से संबंधित 6 विषयों को देखेंगे, जिसकी सूची नीचे दी गई है:
1. क्रोध क्या है?
2. पापमय क्रोध का स्रोत क्या है?
3. पापमय क्रोध के पात्र कौन हैं [किनके ऊपर यह क्रोध किया जाता है]?
4. ऐसी कौन—कौन सी सामान्य अभिव्यक्तियाँ हैं जिनसे पापमय क्रोध का प्रदर्शन किया जाता है?
5. पापमय क्रोध के विनाशकारी दुष्परिणाम क्या—क्या हैं?
6. हम पापमय क्रोध से कैसे छुड़ाये जा सकते हैं?
इस लेख में हम इस विषय के परिचय पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे |
बीते कुछ वर्षों में कुछ लोगों की ऐसी “अनोखी परन्तु सच्ची” कहानियां सुनने को मिलीं जिसमें लोग फ़ालतू बातों के लिए मरने—मारने पर उतारू हो गये |
- अपना पसंदीदा टी. वी. कार्यक्रम देखने की बहस में एक 48 वर्षीय पुरुष ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी |
- एक जवान की चाकू घोंपकर हत्या उसकी प्रेमिका ने केवल इसलिए कर दी क्योंकि वह रेस्टोरेंट से गलत नाश्ता ले आया था |
- घर में कमरा गर्म करने वाली मशीन लगाने की बात पर बहस होने पर एक 37 वर्षीय पुरुष की हत्या उसी के साथ रहने वाले व्यक्ति [रूममेट] ने कर दी |
- एक 15 वर्षीय लड़के पर एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या करने का अपराध दर्ज किया गया; वह व्यक्ति अपने कार में एक विशेष प्रकार का संगीत सुन रहा था जो इस लड़के को पसंद नहीं था |
- स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्रा के पिता ने बास्केटबाल प्रशिक्षक पर हिंसक हमला कर दिया, उसने मुक्का मारकर उसे जमीन पर गिरा दिया और फिर उसके सीने पर बैठकर उसके चेहरे और सर पर तब तक लगातार मुक्के मारता ही रहा जब तक कि वह बेहोश नहीं हो गया | उसके क्रोधित होने का कारण क्या था ? उस प्रशिक्षक ने उस छात्रा और उसकी सहेली को आपस में बहस करने के दंडस्वरूप मैदान के कुछ चक्कर लगाने का आदेश दिया था |
प्रत्येक बार जब आप अपने आस—पड़ोस में निकलते हैं, तो आप मानवीय रिश्तों को नुकसान पहुँचाने वाली क्रोधभरी कहानियों के बारे में सुनते हैं | जे. एडम्स नामक एक प्रसिद्ध मसीही परामर्शदाता ने गणना किया है कि जिन समस्याओं के लिए परामर्श लिया जाता है उनमें से 90% घटनाओं में पापमय क्रोध की संलिप्तता रहती है | सच है! क्रोध वास्तव में ही हमारे जीवन में कहर बरपाता है | यह उन भावनाओं में से एक है जो:
- एक दूसरे से प्रेम करने वाले जीवन साथियों को एक ठंडे, नाप तौल कर कार्य करने वाले, आलोचनावादी वैवाहिक जोड़ों में बदल देता है जो केवल अपनी न्यूनतम जिम्मेदारियों को निभाते हैं, केवल उतनी ही जिम्मेदारियों को जो उनके एक ही घर में एक साथ रहने के लिए आवश्यक हो |
- पक्के मित्रों को कट्टर दुश्मनों में बदल देता है |
- एक खुशहाल परिवार में लड़ाई करवाता है, ऐसी लड़ाई जो कदाचित ही सुलझ पाती है |
- अपने बच्चों की परवाह करने वाले और उनके लिए फिक्रमंद रहने वाले पालकगणों को चीखने – चिल्लाने वाले ऐसे वयस्कों में बदल देता है जो भावशून्य मुद्रा में खड़े हुए बच्चों को एक ही बात बार – बार बोलते रहते हैं |
- एक शांत, सीधे – सादे और कई वर्षों से कार्यरत एक कर्मचारी को एक स्वचालित हथियार लेकर घूमने वाले उन्मादी व्यक्ति में बदल देता है जो अपने कार्यालय – भवन के प्रत्येक मंजिल में जाता है और सब तरफ गोली बरसाते हुए कई निर्दोष लोगों को मार डालता है और कईयों को अपंग बना देता है और ये सब केवल इसलिए क्योंकि उसे नौकरी से निकाल दिया गया !
यह कथन कितना सटीक है, “यदि आप क्रोध को अपने सर्वोत्तम गुण पर हावी होने देंगे तो वह आपके निकृष्ट दुर्गुण को प्रगट करेगा |” और क्रोध केवल पुरुषों की ही समस्या नहीं है—यह महिलाओं को भी प्रभावित करता है | यह एक सार्वभौमिक समस्या है जिसका सामना सभी करते हैं—मसीही भी!
यह देखना दुखद है कि मसीही होने का दावा करने वाले कई लोग बाहरी लोगों के प्रति दयालु रहते हैं परन्तु अपने घर के लोगों के साथ वे अत्यंत ही क्रूरतापूर्ण व्यवहार दिखाते हैं! इसमें कोइ आश्चर्य की बात नहीं है कि कई मसीही घर तबाह हो चुके हैं | बहुत सारे विश्वासी नीतिवचन 17:1 में बताये गये घर के समान किसी घर की वास्तविकता का अनुभव करना चाहते हैं, “चैन के साथ सूखा टुकड़ा, उस घर की अपेक्षा उत्तम है जो मेलबलि-पशुओं से भरा हो, परन्तु उस में झगड़े रगड़े हों |”
परन्तु अनियंत्रित क्रोध के कारण एक आनंदित घर की वास्तविकता पहुँच के बाहर ही जान पड़ता है | क्या कोई आशा है? हाँ आशा तो है—यदि हम क्रोध की समस्या के साथ सही तरीके से अर्थात बाईबल में बताये गए परमेश्वर के तरीके से व्यवहार करने के इच्छुक हैं, तो आशा है | बाईबल ही क्यों? क्योंकि क्रोध कोई स्वास्थ्यगत समस्या नहीं है; यह एक पाप—जनित समस्या है जो इसे एक आत्मिक समस्या बनाती है | आत्मिक समस्या पर केवल आत्मिक सच्चाईयों से जय पाया जा सकता है |
हमें 2 तीमुथियुस 3:16-17 में बताया गया है, “16 हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है | 17 ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाये |” ये आयतें इस बात को अत्याधिक स्पष्ट कर देती हैं कि पवित्रशास्त्र क्रोध और अन्य प्रत्येक समस्या के समाधान के लिए पर्याप्त होने से भी कहीं अधिक बढ़कर है! इसी कारण से इस बात को समझाने के लिए कि हम पापमय क्रोध के साथ कैसे प्रभावशाली तरीके से व्यवहार कर सकते हैं, आगामी समस्त लेख पवित्रशास्त्र की शिक्षाओं का उपयोग करेंगे | पापमय क्रोध जिस प्रकार के लघुकालीन और दीर्घकालीन विनाशकारी दुष्परिणाम को लाता है, उसे देखते हुए इस पापमय क्रोध का शिकार बनने से बचने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी निरंतर पहरेदारी करें |
कृपया प्रार्थना करें कि यह श्रृंखला इसे पढ़ने वाले समस्त लोगों के लिए आशीष का कारण बने और यह कि पवित्र आत्मा, हमें उस यीशु के और भी अधिक समानता में लाने के लिए, जिसने अपने आपको “नम्र और मन में दीन” [मत्ती 11:29] बताया, इस लेख—श्रृंखला का इस्तेमाल करने में प्रसन्न हो |