उद्धारकर्ता यीशु लोगों का उद्धार करने के लिए 4 बाधाओं को तोड़ते हैं

(English Version: Jesus The Savior Breaks Down 4 Barriers To Save People)
यहूदी पंथ से मसीहियत में आये श्रीमान मार्विन रोसेन्थाल ने कहा कि मत्ती 1:1-17 में दी गई यीशु मसीह की वंशावली, उन कई प्रमाणों में से एक था, जिसने उसे यह विश्वास दिलाया कि यीशु ही मसीहा है | वह एक अमेरिकी नौसैनिक था और उसे एक नौसैनिक के रूप में लम्बी दूरी से अपने लक्ष्य पर निशाना लगाते समय सटीक रहना पड़ता था; अपने इसी अनुभव के आधार पर बात करते हुए श्रीमान रोसेन्थाल ने कहा कि एक यहूदी पाठक के लिए मत्ती द्वारा दी गई वंशावली लक्ष्य के केंद्र को 10 में से 10 बार भेदती है !
जब बात वंशावली की होती थी तो यहूदी, पुराने नियम समयकाल से ही, हमेशा विस्तृत ब्यौरे में जाते थे – फिर चाहे भूमि के बँटवारे की बात हो, या याजकों को नियुक्त करने की या फिर राजाओं के बारे में | चूँकि मत्ती ने एक बड़ा दावा कर दिया था कि यीशु, मसीहा है और यह भी कि वह “दाऊद का संतान” और “इब्राहीम का संतान” है (मत्ती 1:1), और वह लोगों को यीशु पर विश्वास करने के लिए बुलाता है तो यह आवश्यक हो गया था कि वह अपने उस दावे को सिद्ध करे | इसीलिए वह यीशु की वंशावली देता है, इस वंशावली में वह दाऊद से होते हुए इब्राहीम तक पहुँचता है | अपने पुराने जीवन में एक चुंगी लेने वाले के रूप में कार्य करने के कारण मत्ती, वंशावली की सूची बनाने के लिए एक सुयोग्य व्यक्ति था, क्योंकि वंशावली का निर्माण करना उसके कार्य का एक हिस्सा रहा होगा, ताकि परिवार के सदस्यों की संख्या के आधार पर उचित चुंगी की वसूली की जा सके |
यद्यपि बाईबल में दी गयी वंशावली परमेश्वर की प्रेरणा से रचे गए वचन का एक भाग है और इसीलिए हमारे लिए लाभकारी है (2 तीमुथियुस 3:16–17), तौभी हम अधिकाँश गैर – यहूदी लोगों को यह उतनी रुचिकर नहीं लगती है | इस लेख में मैं आशा करता हूँ कि मैं यह दिखा पाऊँगा कि कई नामों से भरा हुआ यह भाग भी हमारे लिए लाभकारी है क्योंकि यह उन चार बाधाओं का वर्णन करता है, जिन्हें लोगों का उनके पापों से उद्धार करने के लिए प्रभु यीशु तोड़ते हैं | यह बात, हमें उसके पास विश्वास में होकर जाने और उसके बारे में दूसरों को आनंदपूर्वक बताने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए |
यह अच्छा होगा कि, हम पहले मत्ती 1:1–17 के सम्पूर्ण भाग को पढ़ लें और फिर उन चार बाधाओं को देखें, जिन पर लोगों का उद्धार करने के लिए प्रभु यीशु विजय प्राप्त करते हैं |
1 इब्राहीम के वंशज दाऊद के पुत्र यीशु मसीह की वंशावली इस प्रकार है:
2 इब्राहीम का पुत्र था इसहाक
और इसहाक का पुत्र हुआ याकूब।
फिर याकूब से यहूदा
और उसके भाई उत्पन्न हुए।
3 यहूदा के बेटे थे फिरिस और जोरह। (उनकी माँ का नाम तामार था।)
फिरिस, हिस्रोन का पिता था।
हिस्रोन राम का पिता था।
4 राम अम्मीनादाब का पिता था।
अम्मीनादाब से नहशोन
और नहशोन से सलमोन का जन्म हुआ।
5 सलमोन से बोअज का जन्म हुआ। (बोअज की माँ का नाम राहब था।)
बोअज और रूथ से ओबेद पैदा हुआ,
ओबेद यिशै का पिता था।
6 और यिशै से राजा दाऊद पैदा हुआ।
सुलैमान दाऊद का पुत्र था (जो उस स्त्री से जन्मा जो पहले उरिय्याह की पत्नी थी।)
7 सुलैमान रहबाम का पिता था।
और रहबाम अबिय्याह का पिता था।
अबिय्याह से आसा का जन्म हुआ।
8 और आसा यहोशाफात का पिता बना।
फिर यहोशाफात से योराम
और योराम से उज्जिय्याह का जन्म हुआ।
9 उज्जिय्याह योताम का पिता था
और योताम, आहाज का।
फिर आहाज से हिजकिय्याह।
10 और हिजकिय्याह से मनश्शिह का जन्म हुआ।
मनश्शिह आमोन का पिता बना
और आमोन योशिय्याह का।
11 फिर इस्राएल के लोगों को बंदी बना कर बेबिलोन ले जाते समय योशिय्याह से यकुन्याह और उसके भाईयों ने जन्म लिया।
12 बेबिलोन में ले जाये जाने के बाद यकुन्याह
शालतिएल का पिता बना।
और फिर शालतिएल से जरुब्बाबिल।
13 तथा जरुब्बाबिल से अबीहूद पैदा हुए।
अबीहूद इल्याकीम का
और इल्याकीम अजोर का पिता बना।
14 अजोर सदोक का पिता था।
सदोक से अखीम
और अखीम से इलीहूद पैदा हुए।
15 इलीहूद इलियाजार का पिता था
और इलियाजार मत्तान का।
मत्तान याकूब का पिता बना।
16 और याकूब से यूसुफ पैदा हुआ।
जो मरियम का पति था।
मरियम से यीशु का जन्म हुआ जो मसीह कहलाया।
17 इस प्रकार इब्राहीम से दाऊद तक चौदह पीढ़ियाँ हुईं। और दाऊद से लेकर बंदी बना कर बाबुल पहुँचाये जाने तक की चौदह पीढ़ियाँ, तथा बंदी बना कर बाबुल पहुँचाये जाने से मसीह के जन्म तक चौदह पीढ़ियाँ और हुईं।
1. उद्धारकर्ता यीशु समस्त जातिमूलक बाधाओं को तोड़ते हैं |
इस सूची में न केवल यहूदी नाम हैं परन्तु अन्यजातीय नाम भी हैं | इस सूची में “फिरिस” और “जोरह” नामक दो पुत्रों को जन्म देने वाली जिस “तामार” (मती 1:3) का नाम स्त्रियों में सबसे पहले आया है , वह एक गैर – यहूदी थी, संभवत: एक कनानी स्त्री | दूसरा नाम है, “राहाब” (मत्ती 1:5), अधिकांश संभावना यह है कि यह वही स्त्री है जिसने उन दो यहूदी गुप्तचरों को शरण दिया था जो कनान देश का भेद लेने गए थे (यहूदी 2:4), और यह भी एक कनानी स्त्री थी | तीसरा नाम है, “रूत” (मती 1:5), एक मोआबिन स्त्री | इस बात की भी संभावना है कि “उरिय्याह की पत्नी” (मत्ती 1:6) करके जिस बेतशेबा के बारे में लिखा गया है, वह एक हित्ती स्त्री थी या फिर कम से कम एक उसने हित्ती परम्पराओं को अपना लिया था, क्योंकि हम देखते हैं कि दाऊद की पत्नी बनने से पहले उसने उरिय्याह से विवाह किया था जो कि एक हित्ती व्यक्ति था |
जैसा कि स्पष्ट है, प्रभु यीशु एक ऐसी वंशावली से होकर आये जिसमें गैर – यहूदी लोग भी सम्मिलित थे, और यह बात हमें स्मरण दिलाती है कि उसमें समस्त जातिमूलक बाधायें तोडी गईं | वह सभी पृष्ठभूमि के लोगों का उद्धारकर्ता है | इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी के चमड़ी का रंग कैसा है, उसका जन्म कहाँ हुआ या फिर वह किस जाति का है | प्रभु यीशु, अपने परिवार में समस्त पृष्ठभूमि के लोगों का स्वागत करते हैं | इसका अर्थ यह भी है कि, प्रभु यीशु के अनुयायी, लोगों के पृष्ठभूमि के आधार पर भेदभाव न करें परन्तु उन सबका स्वागत करें |
2. उद्धारकर्ता यीशु समस्त लैंगिक बाधाओं को तोड़ते हैं |
जिस दूसरी बाधा को प्रभु यीशु तोड़ते हैं, वह है, लैंगिक बाधा | वंशावली में स्त्रियों का नाम होना असामान्य बात है | तौभी, पाँच नाम इस भाग में सूचीबद्ध हैं – तामार, राहाब, रूत, बेतशेबा, और मरियम, जिसमें से तीन अत्यंत ही आपत्तिजनक पृष्ठभूमि से हैं (तामार, राहाब, और बेतशेबा) | यीशु मसीह ने स्त्रियों को एक ऐसे समय में सम्मान दिया, जब उन्हें, न्यायालयों में गवाही देने का भी अधिकार न था | यरूशलेम में रहने वाले संभ्रात वर्ग के लोगों को नहीं अपितु एक सामरी स्त्री को यीशु मसीह ने सर्वप्रथम यह प्रकाशन दिया कि वह मसीहा थे (यूहन्ना 4) | पुनरुत्थान के पश्चात प्रभु यीशु, सर्वप्रथम, 11 प्रेरितों पर नहीं अपितु एक स्त्री – मरियम मगदलीनी पर प्रगट हुए (यूहन्ना 20:16-18) |
उद्धारकर्ता यीशु में समस्त लैंगिक बाधायें तोड़ दी गई हैं | मसीह में, आत्मिक रूप से हम सब समान हैं, हालाँकि कार्यात्मक रूप से अलग – अलग भूमिका है | उसके राज्य में, स्त्री और पुरुष दोनों का स्वागत है | लोगों के साथ व्यवहार करते समय प्रभु यीशु के अनुयायियों को यह बात अवश्य स्मरण रखनी चाहिए |
3. उद्धारकर्ता यीशु समस्त सामाजिक बाधाओं को तोड़ते हैं |
मत्ती द्वारा दी गयी सूची में राजाओं, चरवाहों, बढ़ईओं, और कई अनजान लोगों के नाम सम्मिलित हैं | वास्तव में, यीशु मसीह के 12 में से 11 प्रेरित गलील के थे – जिसका अर्थ यह था कि वे अधिक शिक्षित नहीं थे – वे तो मछुआरे, चुंगी लेनेवाले, और विद्रोही क्रांतिकारी थे | तौभी संसार को आंदोलित करने के लिए, उसने उन सबका इस्तेमाल किया | प्रथम शताब्दी कलीसिया के विश्वासी मुख्यत: समाज के निम्नतम तबके से आते थे – गुलाम तबके से (1 कुरिन्थियों 1:26–31) | परमेश्वर ने न केवल उनका उद्धार किया बल्कि सुसमाचार के प्रसार में उनका सामर्थी ढंग से इस्तेमाल भी किया | इससे स्पष्ट शिक्षा मिलती है कि उद्धारकर्ता यीशु केवल समाज के संभ्रात वर्ग के लोगों के नहीं हैं ; वे सभी लोगों के हैं | यीशु में समस्त सामाजिक और आर्थिक बाधायें तोड़ दी गयी हैं | यह यीशु के अनुयायियों के लिए एक अनुस्मारक भी है : हमें किसी के सामाजिक और आर्थिक स्थिति को देखते हुए भेदभाव नहीं करना चाहिए बल्कि हमें सबके साथ समानता का व्यवहार करना चाहिए |
4. उद्धारकर्ता यीशु पाप के समस्त बाधाओं को तोड़ते हैं |
यीशु द्वारा तोड़े जाने वाले समस्त बाधाओं में यह सबसे बड़ी बाधा है ! पाप, इस संसार के समस्त क्लेशों का कारण है, मृत्यु का कारण भी ! परन्तु प्रभु यीशु की इस वंशावली के द्वारा मत्ती यह दिखलाता है कि प्रभु यीशु पाप की बाधा को भी तोड़ते हैं | ऐसा कैसे ? चलिए, प्रभु यीशु के वंशवृक्ष में से कुछ नामों को संक्षेप में देखें – विशेषतः, उनके नकारात्मक विशेषताओं को |
इब्राहीम – एक से अधिक बार झूठ बोलने का दोष (उत्पत्ति 12:10–20; उत्पत्ति 20:1–18) |
इसहाक – झूठ बोलने और परमेश्वर द्वारा याकूब को चुनने के बावजूद, भोजन के प्रति अपने प्रेम के कारण, याकूब के स्थान पर एसाव को पहलौठे की आशीष देने के लिए चुनने का दोष (उत्पत्ति 26:1-11; उत्पत्ति 25:21–23; उत्पत्ति 27:1–4 )|
याकूब – धोखेबाज और झूठा होने का दोष (उत्पत्ति 27: 1–29) |
यहूदा – युसुफ को इश्माएलियों के हाथ बेचने का सुझाव देने और एक कनानी स्त्री से विवाह करने एवं बाद में एक ऐसी स्त्री जिसे उसने वेश्या समझा, से यौन संबंध बनाने का दोष (उत्पत्ति 37:26–27; उत्पत्ति 38:1-2; उत्पत्ति 38:11–19) |
तामार – यहूदा की बहू – एक वेश्या का रूप धरने और यहूदा के साथ सोने का दोष (उत्पत्ति 38:11–19) |
राहाब – वेश्यावृत्ति का दोष (यहोशू 2:1) |
दाऊद – इस्राएल का सबसे महान राजा – तौभी व्यभिचार और हत्या का दोषी (2 शमूएल 11:1–27) |
सुलैमान – बहुविवाह, मूर्तिपूजा, और सांसारिक सुखविलास में जीवन बिताने का दोष |
रहूबियाम – अहंकार और दुष्टता का दोष (1 राजा 12:1–15) |
आहाज – भयंकर मूर्तिपूजा का दोषी, ऐसी मूर्तिपूजा जिसमें नरबलि भी दी जाती थी (2 राजा 16:1–4) |
यह सूची जारी रहती है | परन्तु ज़रा अनुमान लगाएं कि इस सूची में दुष्टता के लिए प्रथम पुरस्कार किसे मिला होगा ? हिजकिय्याह के पुत्र, मनश्शे को | 2 राजा 21:11 में उसके बारे में कहा गया है, “यहूदा के राजा मनश्शे ने इन घृणित कामों को किया है और अपने से पहले की गई एमोरियों की बुराई से भी बड़ी बुराई की है। मनश्शे ने अपने देवमूर्तियों के कारण यहूदा से भी पाप कराया है |” 2 इतिहास 33 उसकी दुष्टता का और अधिक विवरण देता है, जहां इस प्रकार की बुराईयाँ भी सूचीबद्ध हैं : “फिर उसने हिन्नोम के बेटे की तराई में अपने बेटों को होम करके चढ़ाया, और शुभ-अशुभ मुहूर्तों को मानता, और टोना और तंत्र-मंत्र करता, और ओझों और भूतसिद्धिवालों से सम्बन्ध रखता था। वरन् उसने ऐसे बहुत से काम किए, जो यहोवा की दृष्टि में बुरे हैं और जिनसे वह अप्रसन्न होता है ” (2 इतिहास 33:6) |
क्या यह चौंकाने वाली बात नहीं है ? इस सूची में दुष्ट पापी भी सम्मिलित हैं और परमेश्वर द्वारा आज्ञा पाकर अपने पुत्र इसहाक को बलिदान रूप में चढ़ाने वाले इब्राहीम ( उत्पत्ति 22 ) जैसे भक्त पुरुष भी | तौभी यह सूची यह भी दिखलाती है कि इब्राहीम और दाऊद जैसे महामानव भी मनुष्य मात्र ही थे | पापियों का कैसा संग्रह – साधारण और असाधारण पाप | झूठे,षड़यन्त्रकारी, वेश्याएं, व्यभिचारी, हत्यारे, मूर्तिपूजक इत्यादि |
तौभी सबने मन फिराने पर अनुग्रह पाया | मनाश्शे एक अच्छा उदाहरण है | उसके सारी दुष्टताओं के बावजूद हम 2 इतिहास 33:12–13 में यह पढ़ते हैं : “12 मनश्शे को कष्ट हुआ। उस समय उसने यहोवा अपने परमेश्वर से याचना की। मनश्शे ने स्वयं को अपने पूर्वजों के परमेश्वर के सामने विनम्र बनाया। 13 मनश्शे ने परमेश्वर से प्रार्थना की और परमेश्वर से सहायता की याचना की। यहोवा ने मनश्शे की याचना सुनी और उसे उस पर दया आई। यहोवा ने उसे यरूशलेम अपने सिंहासन पर लौटने दिया। तब मनश्शे ने समझा कि यहोवा सच्चा परमेश्वर है |”
इन नामों की सूची देकर मत्ती हमें यह दिखाता है कि जब बात उन लोगों के उद्धार की आयी जो उसके पास दीनता में होकर आते हैं, तो परमेश्वर ने अपने अनंत अनुग्रह में होकर प्रभु यीशु को उद्धारकर्ता के रूप में समस्त बाधाओं को तोड़ने के लिए भेजा, जिसमें सबसे बड़ी बाधा अर्थात पाप की बाधा भी सम्मिलित है |
कई वर्षों तक पाप में पड़े रहने के पश्चात, एक मिशनरी द्वारा मसीह में लाये गए, एक बूढ़े अमेरिकी आदिवासी की कहानी प्रचलित है | जब उसके दोस्तों ने उसके जीवन में आये परिवर्तन के बारे में पूछा तो उसने नीचे झुककर एक छोटे कीड़े को उठाया और उसे पत्तों के ढेर पर रख दिया | फिर उसने पत्तों में आग लगा दी |
जब आग की लौ ठीक उस जगह पहुँचने वाली थी जहाँ कीड़ा था, तब उस बूढ़े प्रधान ने एकाएक अपना हाथ उस आग की लौ के बीच में डाला और उस कीड़े को निकाल लिया | उस कीड़े को नर्म हाथों से पकड़े हुए उसने परमेश्वर के अनुग्रह की यह गवाही दी : “मैं हूँ … यह कीड़ा |”
अंतिम विचार
मैं आशा करता हूँ कि अब आप समझ पाए होंगे कि बाईबल में दी गयी नामों की एक सूची भी हमारे लिए लाभकारी है | ये भाग प्रगट करते हैं कि लोगों का उद्धार करने के लिए प्रभु यीशु ने सचमुच समस्त बाधाओं को तोड़ा | इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है कि कोई व्यक्ति किस जाति, लिंग, सामाजिक स्तर का है या उसने कितना पाप किया है, प्रभु यीशु उनके पापों को क्षमा करके और उनको नया जीवन देकर सारे बाधाओं पर जय पा सकते हैं |
प्रभु यीशु सचमुच में पापियों और तिरस्कृत लोगों का मित्र है | वह उनसे संबद्ध होने में कभी भी नहीं लजाता है | वह उलझन में पड़े लोगों को ढूँढने और उनका उद्धार करने के लिए आया | कोई भी पाप इतना बड़ा नहीं है कि जो लोग अपने पापों को मानते हैं और उसके पाप सच्चे मनफिराव और विश्वास में होकर आते हैं, उन्हें स्वीकार करने से प्रभु यीशु को रोक दे | वह उन सबका स्वागत करता है जो उसे अपने राजा के रूप में स्वीकार करते हैं | यह बात किसी को भी यीशु के पास बिना झिझक के आने के लिए प्रोत्साहित करेगा |
प्रिय पाठकगण – इसमें आप भी सम्मिलित हैं – यदि आप अभी तक उसके पास नहीं आये हैं ! मत डरिये | उस पर संदेह मत करिये | उसके पास आईए और जो नया जीवन वह आपको देता है उसका अनुभव प्राप्त कीजिए | अपने पापों को, दुखों को, असफलताओं को, दिल के दर्दों को उसे दे दीजिए, वह आपको चंगा करेगा | वह आपके शेष पार्थिव यात्रा में आपकी सहायता करेगा – इसके समस्त चुनौतियों के बीच भी | उसके पास आना, कभी भी जल्दीबाजी नहीं है | क्योंकि आप बिलकुल नहीं जानते हैं कि यीशु के पास आने में कब बहुत देर हो जायेगी ! जीवन अत्याधिक क्षणिक है | मौत कभी भी आ सकती है | इसलिए कृपया देर न करें | आज ही उसके पास आईये !
हम सबको जिन्होंने पाप की क्षमा का अनुभव किया है, ये सच्चाईयाँ मजबूर करनी चाहिए कि हम उसकी आज्ञाओं को मानने के लिए दृढ़ता दिखायें | इस आज्ञाकारिता में उन लोगों को विश्वासयोग्यता से सुसमाचार सुनाना भी सम्मिलित है जिन्हें इसे सुनने की आवश्यकता है ! यही उपयुक्त होगा कि हम उसके प्रति हमारी पूरी निष्ठा दिखायें जिसने हमें अनंत दुःख और क्लेश से बचाया है |
एक पास्टर (पासबान), इंग्लैण्ड की प्रथम महारानी एलिजाबेथ के हत्या के प्रयास की एक कहानी बताते हैं | जो स्त्री उनकी हत्या करना चाहती थी, उसने एक पुरुष सेवक का रूप धारण किया और अपने आपको महारानी के शयनकक्ष में छिपा लिया और महारानी को घात करने के सही समय का इंतज़ार करने लगी | उसे बिलकुल भी यह नहीं लगा था कि महारानी के सेवक अत्यंत सावधानी बरतेंगे और महारानी के आराम करने से पहले उसके कमरों की तलाशी लेंगे | उन्होंने उस स्त्री को कपड़ों के बीच छिपे हुए देख लिया | जिस चाकू से वह महारानी को मारना चाहती थी, उस चाकू को छीनने के बाद, उसे महारानी के सम्मुख लाया गया |
इस संभावित हत्यारिन ने जान लिया कि अब उसके बचने की कोई आशा नहीं थी | वह महारानी के कदमों पर गिर गई और कहने लगी, “ एक स्त्री होने के नाते आप मुझ स्त्री पर रहम कीजिए और मुझ पर अनुग्रह करिये | ” महारानी एलिजाबेथ ने उसे अनमने ढंग से देखा और धीरे से पूछा, “ यदि मैं तुम पर अनुग्रह दिखाऊँ, तो भविष्य के लिए तुम क्या प्रतिज्ञा करती हो ?” उसने अपनी नजरें उठाई और कहा, “ वह अनुग्रह, अनुग्रह ही नहीं है, जिसमें शर्त है और जो पूर्वचिन्ताओं से बंधा हुआ है | ” महारानी एलिजाबेथ उस विचार को एक क्षण में ही समझ गयी और उन्होंने कहा, “ तुम सही हो; मैं तुम्हें अपने अनुग्रह से क्षमा करती हूँ |” और सेवक उसे ले गए, वह अब एक स्वतंत्र महिला थी |
इतिहास बताता है कि महारानी का कोई भी सेवक, इस महिला से बढ़कर, जिसने महारानी के प्राण लेने का प्रयास किया था, विश्वासयोग्य और निष्ठावान नहीं था |
ठीक इसी तरह से परमेश्वर का अनुग्रह एक व्यक्ति के जीवन में कार्य करता है–वह परमेश्वर का एक विश्वासयोग्य सेवक या सेविका बन जाता / जाती है | हम राजा यीशु के विश्वासयोग्य सेवक बनने का प्रयास करें, जिसने अपने अद्भुत अनुग्रह से हमें नया जीवन दिया है |