आईए, हम स्वयं को 22 क्षेत्रों में जाँचें

(English version: “Come, Let Us Examine Ourselves in 22 Areas”)
कुलुस्सियों 3:-4:6 में पौलुस उन 22 गुणों को सूचीबद्ध करता है जिनकी अभिलाषा और अनुसरण प्रत्येक मसीही को करना चाहिए और जिनकी उपस्थिति प्रत्येक मसीही जीवन में होनी चाहिए | आईए, हम समय निकालें और इनमें से प्रत्येक क्षेत्र में हमारे जीवन की समीक्षा करें | जहाँ आवश्यक हो, वहाँ हम अपने पापों का अंगीकार करें और पश्चाताप के लिए उससे सहायता माँगें और चीजों को ठीक करें |
1. सांसारिकता [कुलुस्सियों 3:2 “पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्वर्गीय वस्तुओं पर ध्यान लगाओ”]
2. यौन शुद्धता [कुलुस्सियों 3:5 “इसलिये अपने उन अंगों को मार डालो…व्यभिचार, अशुद्धता…”]
3. लालच [कुलुस्सियों 3:5 “इसलिए अपने उन अंगों को मार डालो…लोभ को”]
4. क्रोध [कुलुस्सियों 3:8 “क्रोध, रोष…ये सब बातें छोड़ दो”]
5. गंदी बात [कुलुस्सियों 3:8-9 “निन्दा, और मुंह से गालियाँ बकना ये सब बातें छोड़ दो | एक दूसरे से झूठ मत बोलो…”]
6. पक्षपात [कुलुस्सियों 3:11 “उस में न तो यूनानी रहा, न यहूदी…केवल मसीह सब कुछ और सब में है”]
7. दया [कुलुस्सियों 3:12 “बड़ी करूणा, और भलाई…धारण करो”]
8. दीनता [कुलुस्सियों 3:12 “दीनता, और नम्रता…धारण करो”]
9. सहनशीलता [ कुलुस्सियों 3:12 “…सहनशीलता धारण करो”]
10. क्षमा [कुलुस्सियों 3:13 “एक दूसरे के अपराध क्षमा करो : जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो”]
11. प्रेम [कुलुस्सियों 3:14 “प्रेम को…बान्ध लो”]
12. कृतज्ञता [कुलुस्सियों 3:15-17 “धन्यवादी बने रहो…परमेश्वर के लिये भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ”]
13. बाईबल अध्ययन [कुलुस्सियों 3:16 “मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो”]
14. पत्नियों [कुलुस्सियों 3:18 “हे पत्नियों, जैसा प्रभु में उचित है, वैसा ही अपने अपने पति के आधीन रहो”]
15. पतियों [कुलुस्सियों 3:19 “हे पतियों, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो, और उन से कठोरता न करो”]
16. बच्चों [कुलुस्सियों 3:20 “अपने अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करो”]
17. पालकों [कुलुस्सियों 3:21 “अपने बालकों को तंग न करो”]
18. सेवकों (कर्मचारियों) [कुलुस्सियों 3:22-23 “जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो…और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझ कर कि…प्रभु के लिये करते हो”]
19. स्वामियों [कुलुस्सियों 4:1 “अपने अपने दासों के साथ न्याय और ठीक ठीक व्यवहार करो”]
20. प्रार्थना (सामान्य) [कुलुस्सियों 4:2 “प्रार्थना में लगे रहो”]
21. प्रार्थना (सुसमाचार – प्रसार के लिए) [कुलुस्सियों 4:3-4 “प्रार्थना करो…कि [अन्य लोग] मसीह के उस भेद का वर्णन कर सकें”]
22. सुसमाचार – प्रचार [कुलुस्सियों 4:5-6 “अवसर को बहुमूल्य समझ कर बाहर वालों के साथ बुद्धिमानी से बर्ताव करो | तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो …”]
आईए, स्मरण रखें, “यीशु का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है ” [1 यूहन्ना 1:7] और “यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है” [1 यूहना 1:9]|