जब आप क्लेश से होकर गुजरें तो अचंभित न हों

Posted byHindi Editor July 18, 2023 Comments:0

(English version: Don’t Be Surprised When You Go Through Suffering)

15 वी शताब्दी के मध्य तक बाईबल का इंग्लिश में अनुवाद हो चुका था |  हेडली शहर सम्पूर्ण इंग्लैंड के उन चुनिन्दा शहरों में से एक था जहाँ बाईबल इंग्लिश भाषा में सबसे पहले पहुँची | हेडली में डॉ. रॉलैंड टेलर नामक एक पासबान थे जो विश्वासयोग्यता के साथ परमेश्वर के वचन का प्रचार करते थे | जैसा किअपेक्षित था, उन्हें बिशप और लन्दन के मुख्य चांसलर के सम्मुख पेश होने का बुलावा आया | उस पर झूठा शिक्षक होने का आरोप लगाया गया और उसे बाईबल के प्रति अपने विचार को बदलने का एक मौक़ा दिया गया ; ऐसा न करने पर उसे खम्भे से बाँधकर जला देने की धमकी दी गई |  

उसने साहसपूर्ण प्रतिक्रिया दिखाई, “मैं सत्य का प्रचार करने से पीछे नहीं हटूँगा और मैं परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ कि उसने मुझे अपने वचन के लिए दुःख उठाने के योग्य समझा”| उसे तुरंत हेडली भेज दिया गया, खम्भे पर बाँधकर जला दिए जाने के लिए | वापस जाते समय, मार्ग में वह इतना आनंदित और प्रफुल्लित था कि उसे देखने वाला कोई यह सोचता कि वह किसी भोज या विवाह में जा रहा था | जब वह अपने साथ जा रहे सिपाहियों से याचना करता था कि वे अपनी बुराई से और दुष्टता भरे जीवन से मन फिरायें तो वे सिपाही अक्सर रो पड़ते थे | उसे इतना दृढ़, निर्भीक, आनंदित और मरने के लिए प्रसन्न देखकर वे अचंभा करते थे |

जब वे उस स्थान पर पहुँचे जहाँ उसे जलाया जाना था, तो वहाँ अपनी आखों में आँसू भरकर इकट्ठा हुए अपनी मंडली के लोगों से डॉ. टेलर ने कहा, “मैंने तुम्हें कुछ और नहीं बल्कि परमेश्वर का पवित्र वचन सिखाया है और उन शिक्षाओं को सिखाया है जिसे मैंने परमेश्वर के धन्य पुस्तक जिसे पवित्र बाईबल कहते हैं, से लिया | मैं आज यहाँ उन सिखाई हुई बातों पर अपने लहू से मुहर लगाने आया हूँ |”

उसने घुटने टेके, प्रार्थना किया और खम्भे की ओर चल पड़ा | उसने खम्भे को चूमा, अपने हाथों को मोड़े हुए और अपनी आखों को स्वर्ग की ओर उठाये हुए वह खम्भे से टिक कर खड़ा हो गया | वह प्रार्थना करता रहा | उन्होंने उसे जंजीर से बाँध दिया और कई लोगों ने मिलकर उसे जलाने के लिए लकड़ियों को व्यवस्थित रूप से जमा दिया | जब उन्होंने आग लगाई, तो डॉ. टेलर ने अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाया और परमेश्वर को यह कहते हुए पुकारा, “हे स्वर्ग के करुणामय परमेश्वर, मेरे उद्धारकर्ता यीशु मसीह की खातिर, मेरी आत्मा को अपने हाथों में ग्रहण कर ले |”

वह जलती हुई ज्वाला में बिना रोये या बिना हिले–डुले अपने दोनों हाथों को आपस में बाँधे  हुए खड़ा रहा | उसे और अधिक पीड़ा से बचाने के लिए उस शहर का एक मनुष्य आग की ओर दौड़ा और उसने युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले एक लम्बे हत्थे वाले कुल्हाड़ी से उसके सिर पर प्रहार किया | टेलर तुरंत मर गया, उसकी मृत देह आग में गिर गई | 

जब हम ऐसी एक कहानी को और इसी के समान ही कई और दूसरी कहानियों को सुनते हैं, तो हमें यह सोचकर आश्चर्य होता है कि ऐसी कौन सी बात है जो टेलर जैसे लोगों को ऐसे क्लेशों को सहने के लिए प्रेरित करती है | मैं विश्वास करता हूँ कि एक कारण यह है कि वे जानते हैं कि मसीही जीवन क्लेश सहने के लिए एक बुलाहट है और इसीलिए जब क्लेश आते हैं तो वे अचंभित नहीं होते | वे 1 पतरस 4:12 की बातों को अपने ह्रदय में रखे रहते हैं, हे प्रियों, जो दुख रूपी अग्नि तुम्हें परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझ कर अचम्भा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है |”  

ध्यान दीजिए कि पतरस कहता है, “अचम्भा न करो |” यह एक आज्ञा है | उसके कहने का अर्थ है, “मसीही जीवन के भाग के रूप में क्लेश सहने की अपेक्षा करो |” आपने देखा, जब परीक्षाओं ( मुसीबतों ) से होकर जाते हैं तब सामान्य मानुषिक प्रतिक्रिया होती है, अचंभा प्रगट करना, “अनोखी बात” मुझ पर बीत रही है | परन्तु एक समझदार मसीही को ऐसी प्रतिक्रिया नहीं दिखानी चाहिए | जब परीक्षायें आती हैं तो हमें अचंभित नहीं होना चाहिए | यहाँ किसी और के द्वारा नहीं परन्तु स्वयं प्रभु यीशु के द्वारा दिए गये कुछ उदाहरण हैं |

मत्ती 5:11 धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सतायें और झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें |”  

मत्ती 10:34–36 34 यह न समझो, कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने को आया हूं; मैं मिलाप कराने को नहीं, पर तलवार चलवाने आया हूं | 35 मैं तो आया हूं, कि मनुष्य को उसके पिता से, और बेटी को उस की माँ से, और बहू को उस की सास से अलग कर दूं | 36 मनुष्य के बैरी उसके घर ही के लोग होंगे |”

मरकुस 10:29–30 29  मैं तुम से सच कहता हूं, कि ऐसा कोई नहीं, जिस ने मेरे और सुसमाचार के लिये घर या भाइयों या बहिनों या माता या पिता या लड़के-बालों या खेतों को छोड़ दिया हो | 30 और अब इस समय सौ गुणा न पाए, घरों और भाइयों और बहिनों और माताओं और लड़के-बालों और खेतों को पर उपद्रव के साथ और परलोक में अनन्त जीवन |”

यूहन्ना 15:20 “जो बात मैं ने तुम से कही थी, कि दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता, उस को याद रखो: यदि उन्होंने मुझे सताया, तो तुम्हें भी सताएंगे; यदि उन्होंने मेरी बात मानी, तो तुम्हारी भी मानेंगे |”

नया नियम के अन्य लेखक भी हमें इस सच्चाई की सुधि दिलाते हैं | पौलुस 2 तीमुथियुस 3:12 में कहता है, “पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे |” 1 यूहन्ना 3:13 में यूहना हमें स्मरण दिलाता है, “हे भाइयों, यदि संसार तुम से बैर करता है तो अचम्भा न करना |”

जब हम प्रेरितों के कामों का वर्णन और इब्रानियों की पत्री के 11 अध्याय को पढ़ते हैं तो वहाँ हमें उन पत्थरवाहों, कैद, कोड़ों की मार और हत्याओं का स्पष्टता से स्मरण दिलाया गया है जिनका सामना कलीसिया के आरंभिक वर्षों में परमेश्वर के लोगों को करना पड़ा | कलीसिया का इतिहास पढ़ने से प्रथम सदी से लेकर आज के दिन तक संसार के द्वारा परमेश्वर के लोगों के सताए जाने की गवाही मिलती है | मनुष्य के पाप में गिरने के समय से ही शैतान के लोगों और परमेश्वर के लोगों के मध्य निरंतर शत्रुता बनी हुई है | चूंकि शैतान परमेश्वर के विरुद्ध खड़ा रहता है, इसलिए वह अपने लोगों को परमेश्वर से और उस हर एक व्यक्ति से घृणा करने के लिए उकसाता है जो परमेश्वर के लिए खड़ा रहता है | तो यह स्पष्ट है, प्रभु यीशु और साथ ही साथ प्रेरितों ने भी क्लेश की वास्तविकता के बारे में चेतावनी दी है |

1 पतरस 4:12 में वापस लौटें | पतरस आगे बताता है कि कई बार जिन परीक्षाओं से होकर हम गुजरते हैं उनकी तुलना “अग्नि से परखे जाने” से की जा सकती है | मसीहियों को न केवल यह अपेक्षा करनी चाहिए कि परीक्षायें आयेंगी और न केवल उन्हें उन परीक्षाओं से अचंभित नहीं होना है, बल्कि उन्हें यह भी अपेक्षा करनी चाहिए कि कई बार ये परीक्षायें प्रचंड और निष्ठुर होंगी | “अग्नि” शब्द का यही अर्थ है | इसी शब्द का अनुवाद पुराना नियम में “भट्ठी” के रूप में किया गया है | यह उस कठिन परीक्षा को दर्शाता है जिससे होकर वे मसीही,  जिन्हें पतरस ने लिखा, उस समय गुजर रहे थे और जिससे होकर आज हमारे समय और युग में भी कुछ लोग गुजरते हैं |

यहाँ पर कोई यह प्रश्न पूछ सकता है, “ऐसे प्रचंड क्लेश की आवश्यकता क्या है ?” पतरस इस प्रश् का उत्त इन शब्दों के साथ देता है, “दुख रूपी अग्नि तुम्हें परखने के लिये तुम में भड़की है” | क्लेश ( दुःख ) हमें परखने  के लिए आते हैं | सच्चा विश्वास परीक्षाओं में टिका रहता है | झूठा विश्वास परीक्षाओं से होकर गुजरने पर धराशायी हो जाता है | इससे पहले 1 पतरस 1:6–7 में पतरस ने बताया कि जैसे सोना आग के द्वारा परखा और शुद्ध किया जता है वैसे ही क्लेश ( दुःख ) के द्वारा मसीही विश्वास परखा और शुद्ध किया जाता है | आग सोने की गुणवत्ता को प्रगट करता है और यदि वह खरा सोना है तो आग में होकर गुजरने की प्रक्रिया में वह और भी शुद्ध होकर निकलेगा |  यही बात सच्चे मसीहियों पर भी लागू होती है | वह परीक्षाओं से होकर गुजरने पर और भी शुद्ध हो जाता है | 

विश्वासियों के लिए क्लेश आवश्यक है | अपने प्रभु के समान बनने के लिए इसके अलावा और क्या तरीका है ? अन्यथा हम अपने शत्रुओं से प्रेम करना, जो हमसे घृणा करते हैं उनके साथ भलाई करना और जो हमें सताते हैं उनके लिए प्रार्थना करना कैसे सीखेंगे ? पहले से अधिक दीन, और भी सौम्य, और भी टूटा हुआ, अन्य लोगों की आवश्यकताओं के प्रति और भी अधिक संवेदनशील बनने के लिए हमारे पास और क्या रास्ता है ? जब हम इस बात को समझने में नाकाम रहते हैं कि परीक्षाओं का इस्तेमाल परमेश्वर हमें शुद्ध करने के लिए करता है, तब पतरस कहता है कि हम परीक्षाओं को ऐसे देखेंगे जैसे कोई अनोखी बात हम पर बीत रही है |

खेदजनक बात है मसीही होने का दावा करने वाले कई लोग यही समझते हैं कि “कोई अनोखी बात मुझ पर बीत रही है” | संभावतः, उन्हें भरोसा दिलाया गया रहा होगा कि मसीही जीवन समस्या – मुक्त जीवन है, कोई बीमारी नहीं, पर्याप्त धन- संपत्ति और सारी खुशियाँ–जबकि बाईबल इसके ठीक विपरीत शिक्षा देती है | जब ऐसे लोग परीक्षा में पड़ते हैं तो उन्हें प्रतिक्रिया दिखाने का सही तरीका ज्ञात नहीं होता है | इसीलिए यह महत्वपूर्ण है कि लोग मसीह के पीछे चलने से पहले कीमत का आँकलन कर लें ( खर्च को जोड़ लें ) |

स्वयं प्रभु यीशु ने यह माँग की है कि उसके पीछे आने से पहले लोग खर्च को जोड़ लें (लूका 14:26–35) | उन्हें ऐसे ठंडे चेले बनाने में कोई रूचि नहीं थी जो विश्वास की कीमत चुकाने का अवसर आने पर भाग खड़े होंगे | जो परीक्षाओं के आने पर भाग जाते हैं, वे ऐसे लोग हैं जो  भावुकता में होकर मसीह के पीछे चलने का निर्णय लेते हैं, उस बीज के समान जो पथरीली भूमि पर गिरी | यीशु मसीह ऐसे लोगों का वर्णन कुछ इस ढंग से करते हैं, 16 और वैसे ही जो पथरीली भूमि पर बोए जाते हैं, ये वे हैं, जो वचन को सुनकर तुरन्त आनन्द से ग्रहण कर लेते हैं | 17 परन्तु अपने भीतर जड़ न रखने के कारण वे थोड़े ही दिनों के लिये रहते हैं; इस के बाद जब वचन के कारण उन पर क्लेश या उपद्रव होता है, तो वे तुरन्त ठोकर खाते हैं (मरकुस 4:16–17) |  

दूसरी तरफ, वे लोग जो खर्च जोड़कर पीछे आते हैं, ऐसे लोग हैं जो अपने भयावह पापमय स्थिति और दुर्दशा को समझते हैं और मसीह के पास, मसीह की शर्तों को पूरा करते हुए आते हैं – पवित्र आत्मा से सामर्थ पाकर | ऐसे लोग अच्छी भूमि पर बोए गए बीज के समान हैं और जब उनका सामना परीक्षाओं से होगा तो वे लोग टिके रहेंगे, “पर अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर भले और उत्तम मन में सम्भाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं” (लूका 8:15) | वे अपेक्षा करते हैं कि उन्हें क्लेश सहना होगा और जब परीक्षायें आती हैं तो वे अचंभित नहीं होते | इस प्रकार वे टिके रहते हैं !

आईए, हम प्रभु से लगातार प्रार्थना करते रहें कि वह हमें पवित्र आत्मा के द्वारा स्मरण दिलाते रहे कि हमें क्लेश सहने की अपेक्षा करनी है और क्लेश आने पर अचंभित नहीं होना है | जब हम यीशु मसीह के लिए जीते हैं तो कई भिन्न रूप में तिरस्कार और क्लेश आते हैं | इस प्रकार की बाईबल आधारित समझ होने से कम से कम दो बातें होंगीं :

( 1 ) यह परीक्षाओं से होकर गुजरते समय परमेश्वर के विरुद्ध कुड़कुड़ाने से हमें रोकेगी |

( 2 ) साथ ही यह हमारे मनों को दृढ़ करेगा कि हम यीशु के लिए क्लेश उठाने को एक सौभाग्य समझें, जैसा कि फिलिप्पियों 1:29 में पौलुस हमें स्मरण दिलाता है, “क्योंकि मसीह के कारण तुम पर यह अनुग्रह हुआ कि न केवल उस पर विश्वास करो पर उसके लिये दुख भी उठाओ” (फिलिप्पियों 1:29) | 

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