यीशु के पीछे चलने की बुलाहट

Posted byHindi Editor April 4, 2023 Comments:0

(English Version: The Call to Follow Jesus)

मत्ती 4:18-22 18. गलील की झील के किनारे फिरते हुए उस ने दो भाईयों अर्थात् शमौन को जो पतरस कहलाता है, और उसके भाई अन्द्रियास को झील में जाल डालते देखा; क्योंकि वे मछवे थे | 19 यीशु ने उन से कहा, “ मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊँगा |” 20 वे तुरंत जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए |

21 वहाँ से आगे बढ़कर, यीशु ने और दो भाईयों अर्थात् जब्दी के पुत्र याकूब और उसके भाई यूहन्ना को देखा | वे अपने पिता जब्दी के साथ नाव पर अपने जालों को सुधार रहे थे | उसने उन्हें भी बुलाया | 22 वे तुरंत नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए |

उपरोक्त भाग हमें प्रभु यीशु द्वारा अपने प्रथम चेलों के बुलाये जाने का लेखा – जोखा देता है | पद 18 और 21 से यह पता चलता है कि, यह तब हुआ जब वे मछुओं के रूप में अपने दैनिक क्रियाकलाप में लगे हुए थे | प्रभु यीशु के इस विवरण का अध्ययन करने पर हम 3 बातें सीख सकते हैं |

पहली बात : ध्यान दीजिए, कि इस बुलाहट का प्रवर्तक ( आरम्भ करने वाला ) यीशु है |

 आम तौर पर प्रभु यीशु के समयकाल के रब्बी ( गुरु ) लोगों को अपने पीछे चलने के लिए बुलाहट नहीं देते थे | यदि किसी को पीछे चलने की इच्छा होती थी, तो वह स्वयं पहल करके पीछे हो लेता था | परन्तु, यीशु, केवल एक रब्बी नहीं है | वह देहरूप धारण किया हुआ सर्वाधिकारी परमेश्वर है | इसलिए, वह उन्हें बुलाता है, “मेरे पीछे चले आओ ” (पद 19) | यह कोई सुझाव नहीं था, बल्कि यह एक आज्ञा थी | यह बुलाहट थी, “मेरे पीछे हो ले” या “मेरे पीछे चले आओ” |

इस बुलाहट के पीछे एक गहरा उद्देश्य था जिसे उसी आयत में बताया गया है , “मैं तुम को मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊँगा |” अब तक, तुम जीवित मछलियों को पकड़ रहे थे और उन्हें भोजन के लिए मार रहे थे | अब आगे से, मेरे संदेशवाहक बनकर, और सुसमाचार का प्रचार करके तुम आत्मिक रूप से मरे हुए लोगों को आत्मिक जीवन देने के लिए पकड़ोगे | यही थी, बुलाहट ! साधारण और अशिक्षित लोगों को अपने प्रथम चेले बनने की बुलाहट – एक चिरस्मरणीय कार्य को करने के लिए !

अपने प्रतिनिधि बनने के लिए प्रभु यीशु ने जिस प्रकार के लोगों का चुनाव किया, वह अद्भुत था | परन्तु यही परमेश्वर की बुद्धि है |  उसकी सोच, संसार के सोच के समान नहीं है | वह उनको बुलाता है, जिनको वह बुलाने का चुनाव करता है; उन कार्यों को करने के लिए, जिन्हें वह उनके लिए ठहराता है |

अतः, यह पहली बात है जो हमें सीखनी है : प्रभु यीशु की गवाही देने की बुलाहट की पहल हमसे नहीं होती है | यह उसकी पहल है | वही है, जो हमें अपना गवाह होने के लिए बुलाता है | हम इसके बारे में प्रेरितों के काम 1:8 में पढ़ते हैं , “परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे | ”

इस बुलाहट के आज्ञापालन में चूक जाना, एक पाप है |

दूसरी बात : ध्यान दीजिए, कि इस बुलाहट को पूरा करने के लिए यीशु उन्हें अपनी सामर्थ देने का आश्वासन भी देता है | 

“मैं तुम मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊँगा”,  वाक्याँश, सामर्थ दिए जाने के विचार को दर्शाता है | कुछ अनुवाद में, “मैं तुम्हें मनुष्यों को पकड़ने के लिए भेजूंगा’’, लिखा है; दोनों ही समान विचार हैं | तुम शून्यता  में होकर कार्य नहीं करोगे | जिस कार्य को करने के लिए मैंने तुम्हें बुलाया है, उस कार्य को करने की सामर्थ मैं तुम्हें दूँगा | यह है, यीशु की प्रतिज्ञा |

जैसे यीशु ने उन आरंभिक चेलों को अपना संदेशवाहक बनने की सामर्थ दी थी, उसका संदेशवाहक बनने के लिए, ठीक वही सामर्थ वह हमें भी देता है | पवित्र आत्मा की सामर्थ से हम इस खोए हुए संसार में उसके गवाह बनने के लिए भेजे जाते हैं (प्रेरितों के काम 1:8) |  इसलिए उस बुलाहट को पूरा करने में हमें भयभीत नहीं होना चाहिए | यह वह दूसरी बात है जो हमें सीखनी चाहिए |

तीसरी बात : ध्यान दीजिए कि, प्रभु यीशु की बुलाहट को सुनकर, चेलों ने थोड़ी भी देर किए बिना, अविलंब प्रतिक्रिया दिखाई |

उनकी आज्ञाकारिता में किसी भी प्रकार की कोई हिचकिचाहट नहीं थी | उन्होंने, उनके पास जो संपत्ति थी, उसे प्रभु यीशु के पीछे चलने के रास्ते में नहीं आने दिया | मत्ती 4:20 बताता है, “वे तुरंत जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए |” उन्होंने, अपनी रिश्तेदारी को भी, यीशु के पीछे चलने के रास्ते में नहीं आने दिया | मत्ती 4:22 कहता है, “वे तुरंत नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए |”

इसी प्रकार की प्रतिक्रिया दर्शाने के लिए हम भी बुलाये गए हैं – अविलंब और सम्पूर्ण आज्ञाकारिता | प्रभु यीशु ने हमें अपना गवाह बनने की बुलाहट दी है , और हम संपत्ति या रिश्तेदारी को, प्रभु यीशु की इस बुलाहट के प्रति हमारी आज्ञाकारिता की राह में बाधा बनने नहीं दे सकते हैं |

कृप्या इस बात को समझिए, इसका अर्थ यह नहीं है कि हम सब अपने परिवार को त्याग कर और नौकरियों को छोड़कर उसके पीछे हो लेने के लिए बुलाये गए हैं | इसके विपरीत, नया नियम हमें अपने परिवार को प्रेम करने और यहाँ तक कि उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की स्पष्ट आज्ञा देता है | यही पतरस बाद में सेवकाई में अपनी पत्नी के साथ होगा, और यीशु ने उसकी सास को जो उसके साथ रहती थी, चंगा भी किया था | सिद्धांत यह है कि हम यीशु के पीछे चलने की राह में अपने परिवार को आने की अनुमति नहीं दे सकते हैं |

नया नियम हमें अच्छे कर्मचारी बनने की भी स्पष्ट शिक्षा देता है | इसका अर्थ यह है कि हममें से कुछ लोग कार्यस्थल पर सुसमाचार-ज्योति को चमकाने के लिए बुलाये जायेंगे | सिद्धांत यह है कि हम यीशु के पीछे चलने की राह में अपने नौकरी ( कैरियर ) को आने की अनुमति नहीं दे सकते हैं |

कभी, प्रभु यीशु अपने चेलों को उनके वर्तमान नौकरी में रहते हुए अपना गवाह बनने के लिए बुला सकते हैं | कभी, हो सकता है कि नौकरी को बदलने और ऐसा करते हुए उसके गवाह बने रहने की बुलाहट हो | कई बार, यह भी हो सकता है कि प्रभु हमें उसकी गवाही देने के लिए नौकरी छोड़ने के लिए बुला रहे हों |

इन सारी परिस्थियों में सिद्धांत यह है : प्रभु यीशु के प्रति हमारी आज्ञाकारिता इस तरह सम्पूर्ण ह्रदय से होनी चाहिए कि इस आज्ञाकारिता की राह में कोई भी बात बाधा बनकर न आये | यही वह तीसरी बात है जिसे हमें सीखना है |

विलियम केरी और हडसन टेलर जैसे, नए क्षेत्रों में सेवकाई आरम्भ करनेवाले मिशनरियों ने अपनी जिन्दगी, यहाँ तक कि अपने परिवार के लोगों की जिन्दगी भी दाँव पर लगा दी; और ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि प्रभु का संदेशवाहक बनने  की प्रभु यीशु द्वारा दी गयी बुलाहट को उन्होंने गंभीरता से लिया | जब बात हमारी संपत्ति की आये, तब भी यही विचार होना चाहिए | प्रभु यीशु चाहते हैं कि हम अपनी संपत्तियों का उपयोग अपने सुखविलास की पूर्ति करने के लिए न करें |  इसके स्थान पर हमारी संपत्तियों का इस्तेमाल हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए और अंतत: सुसमाचार के प्रसार के लिए होना चाहिए |

संपत्ति हमें वश में न करे | हमें अपनी संपत्ति को ढीले हाथों से पकड़े रहना है | हमें अपनी संपत्ति का इस्तेमाल परमेश्वर के वचन को फैलाने में करना चाहिए | फिर चाहे अन्य स्थानों में सुसमाचार को ले जाने के लिए सम्पूर्ण त्याग की बात हो, या दूसरों को भेजने के लिए इसके इस्तेमाल की बात हो, या फिर हमारे आसपास के लोगों तक इसका इस्तेमाल करते हुए पहुँचने की बात हो | मुख्य बात यह है : वह अपना गवाह बनने के लिए हमें जहाँ भी बुलाये, वहाँ उसका गवाह बनने की प्रभु यीशु की बुलाहट के प्रति हमें अवश्य ही सदैव आज्ञाकारी बने रहना चाहिए !

क्या ये चेले जानते थे, कि उनके जीवन का अंत कैसा होगा ? इस समय तो, उतना ज्ञान उनको नहीं था | तौभी, विश्वास में होकर, वे सब कुछ छोड़कर यीशु के पीछे हो लिए ! कलीसियाई इतिहास के अनुसार, पतरस और अन्द्रियास को क्रूस पर चढ़ाया गया | “ प्रेरितों के काम ”, पुस्तक के अनुसार याकूब हेरोदेस के द्वारा मार डाला गया | “प्रकाशितवाक्य ”, पुस्तक के अनुसार यूहन्ना को पतमुस द्वीप पर बंदीगृह में रखा गया | संसार के मापदण्ड के अनुसार यह कोई महिमामय अंत नहीं था | परन्तु, स्वर्गीय मापदण्ड के अनुसार, उन्होंने एक सफल जीवन जिया |

बाद में, इसी सुसमाचार में, यीशु मसीह ने स्वयं कहा, “जो अपने प्राण बचाता है, वह उसे खोएगा; और जो मेरे कारण अपना प्राण खोता है, वह उसे पायेगा ” (मत्ती 10:39) | उसने यही बात दूसरे ढंग से भी कही, “क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे वह उसे खोएगा, पर जो कोई मेरे और सुसमाचार के लिए अपना प्राण खोएगा, वह उसे बचाएगा” (मरकुस 8:35) |

इन चेलों ने आने वाले संसार को पाने के लिए इस संसार में अपने जीवन की हानि उठाई | परन्तु अंतिम रूप से विश्लेषण करें तो, उन्होंने इस धरती में सर्वोत्तम जीवन जिया – यीशु की बुलाहट के प्रति विश्वासयोग्य आज्ञाकारिता का जीवन ! हालाँकि वे कई क्लेशों से होकर गुजरे ! परन्तु निश्चित रूप से, अभी वे सर्वोत्तम जीवन जी रहे हैं – अनंतकाल के लिए – यीशु के कदमों में – पूर्ण शान्ति और आराम का अनुभव करते हुए | कोई आँसू नहीं | कोई दुःख नहीं | अनंतकाल के लिए केवल आनंद | परन्तु महिमा से पहले क्रूस आया !

इस बात पर बाईबल पर बिल्कुल ही स्पष्ट है | यीशु के पीछे चलने में हमारी इच्छाओं की मृत्यु और उसकी इच्छाओं के पीछे चलने का निरंतर प्रयास सम्मिलित है |

मोरावियन फेलोशिप्स के संस्थापक काउंट जिन्जेडॉर्फ के बारे में एक कहानी बताई जाती है, कि कैसे एक रोचक घटना के द्वारा उन्होंने क्रूस और उसके अनुप्रयोग को समझा |

यूरोप में जहाँ वे रहते थे, वहाँ एक छोटा चर्च (प्रार्थना घर ) था, वहाँ एक मसीही के द्वारा यीशु मसीह का चित्र बनाया गया था | उस चित्र के नीचे लिखा था, “ ये सब मैंने तेरे लिए किया; तूने मेरे लिए क्या किया है ? ” इस चित्र और शब्दों को देखने के बाद जिन्जेडॉर्फ नि:शब्द हो गए | उसने छेदे हुए हाथों, लहुलुहान माथा और घायल पसली को देखा | वे लगातार देखते रहे – कभी चित्र को, तो कभी लिखे गए शब्दों को |

कई घण्टे गुजर गए | जिन्जेडॉर्फ हिल भी नहीं पा रहे थे | पूरा दिन गुजर जाने के बाद, उन्होंने अपने समर्पण को आंसुओं में दिखाते हुए उसके सामने घुटने टेक दिए जिसके प्रेम ने उसके दिल को पूरी रीति से जीत लिया था |  उस दिन चर्च से वे एक परिवर्तित व्यक्ति के रूप में वापस लौटे | उन्होंने अपनी संपत्ति का उपयोग उन मोरावियन्स  के द्वारा सेवा करने में लगाया, जिनकी सेवा के प्रति अनुराग और कार्यों ने सम्पूर्ण संसार को प्रभावित किया है |

तो आपने देखा, इस प्रकार का परिवर्तन होता है, जब मसीह का प्रेम किसी के दिल को वश में कर लेता है | यह, उस प्रकार का प्रेम है, जो एक व्यक्ति को पहले मसीही बनाता है और फिर वहाँ से प्रेमपूर्वक प्रभु की आज्ञा मानने के लिए उसे समर्थ बनाता है |

जिन लोगों के ह्रदय मसीह के प्रेम से जीत लिए गए हैं, वे कभी भी उसकी आज्ञाओं का पालन करते रहने से पीछे नहीं हटेंगे | वे आनंदपूर्वक संकीर्ण मार्ग पर चलेंगे  क्योंकि वे जानते हैं कि वही मार्ग, एकमात्र मार्ग है जो उन्हें स्वर्ग में उनके वास्तविक घर तक ले जायेगा | वे इस बात को समझते हैं कि वे ज्योति – वाहक हैं जिन्हें अपने चारों ओर के इस अंधकारमय संसार में सुसमाचार की ज्योति चमकाने के लिए बुलाया गया है |

परन्तु वे इस बात को भी जानते हैं कि सबसे पहली और सर्वाधिक महत्वपूर्ण  बात यह है कि यीशु की ज्योति उनके अपने ह्रदय में चमके | क्या यह आपके साथ हुआ है ? क्या आप, अपने स्वयं के पापमय स्वभाव के प्रति व्यक्तिगत रूप से कायल हुए हैं और यीशु मसीह की ओर मुड़े हैं , उस यीशु मसीह की ओर, जिसने आपके पापों की कीमत चुकाने के लिए, प्रेम में होकर क्रूस पर अपना खून बहाया ? क्या यीशु के मन में आपके लिए जो प्रेम है, उस प्रेम ने आपके ह्रदय पर जय पाई है ?

यदि हाँ, तो फिर उद्धार के लिए उसके द्वारा दी गयी प्रेम – बुलाहट के प्रति आपकी प्रतिक्रिया क्या है ? मैं आशा करता हूँ कि, आपका जवाब “ हाँ ”, है ! और यदि यह “ हाँ ”, है तो फिर कृप्या समझिए कि प्रभु यीशु अभी भी आपको सेवा की वही प्रेम – बुलाहट दे रहे हैं, “मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊँगा” |

सेवा के लिए उसकी प्रेम – बुलाहट के प्रति आपकी प्रत्रिक्रिया क्या है ? क्या यह, उन चेलों के समान दर्शाई गयी अविलंब और निरंतर आज्ञाकारिता वाली प्रतिक्रिया है, जिन्होंने संपत्ति और यहाँ तक कि परिवार को भी बीच में आने न दिया ? या फिर आप अपनी संपत्ति, गौरवपूर्ण स्थिति ( पद ) और रिश्तेदारी के द्वारा इस तरह से जकड़ लिए गए हैं कि वे आपको प्रभु यीशु का एक प्रभावकारी गवाह बनने से रोकते हैं ?

यदि ऐसा है, तो फिर आज का दिन ही, वह दिन है, जब आपको मन फिराना चाहिए और प्रभु यीशु से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह आपको क्षमा करे और एक विश्वासयोग्य गवाह बनने में आपकी सहायता करे | उससे प्रार्थना करें ताकि वह आपको सिखाये कि प्रभावशाली रीति से सुसमाचार फैलाने में आप अपने पद और संपत्ति का इस्तेमाल कैसे करें | उससे प्रार्थना करें, कि वह आपकी सहायता करे, ताकि आप उसे रिश्तेदारी से ऊपर रख सकें | स्मरण रखें, वह आपका सृष्टिकर्ता है | वह आपका छुड़ानेवाला है | केवल वही आपके लिए मरा है | इसीलिए, केवल वही आपके जीवन में नंबर 1 स्थान का हकदार है !

Category
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments