सुसमाचार प्रचार की राह में आनेवाले सामान्य बाधाएं और उन पर जय पाने के तरीके – भाग 1

Posted byHindi Editor August 8, 2023 Comments:0

(English version: Common Barriers To Evangelism & How To Overcome Them – Part 1)

स्वर्ग जाते समय प्रभु यीशु द्वारा कहे गए अंतिम वचन में हमें वह बात मिलती है जिसे “महान आज्ञा” के नाम से जाना जाता है, 18 यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है | 19 इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो | 20 और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं” [मत्ती 28: 18–20] |

प्रभु यीशु की इस महान आज्ञा को लूका ने अपने शब्दों में कुछ इस प्रकार लिखा है : “46 यों लिखा है ; कि मसीह दु:ख उठाएगा, और तीसरे दिन मरे हुओं में से जी उठेगा | 47 और यरूशलेम से लेकर सब जातियों में मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार, उसी के नाम से किया जाएगा | 48 तुम इन सब बातें के गवाह हो” [लूका 24:46–48] |

और यही लूका हमें प्रेरितों के काम 1:8 में इस महान आज्ञा का एक अतिरिक्त लेखा – जोखा प्रदान करता है | परन्तु इस बार यीशु मसीह यह बताते हैं कि सुसमाचार प्रचार के लिए पवित्र आत्मा हमें सामर्थ देगा : “8 परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे |” 

जब हम साधारण मनुष्यों के अंतिम शब्दों को महत्व देते हैं तो फिर इस संसार के प्रभु और राजा के द्वारा इस पृथ्वी से विदा होते समय कहे गए अंतिम बातों को हमें कितना अधिक महत्व देना चाहिए? क्या उसके गवाह के रूप में इस संसार में सुसमाचार प्रचार करने के महत्व के संबंध में यीशु मसीह के वचन शीशे की तरह साफ़ नहीं हैं? तौभी, हम कितने ही बार विश्वासयोग्य गवाह बनने के इस कार्य में असफल हो जाते हैं! हम कितने ही बार इस आज्ञा के प्रति अनाज्ञाकारिता दिखाने के भारी अपराध बोध को लिए हुए चलते हैं!

आशा करते हैं कि इस लेख और अगले लेख के द्वारा पवित्र आत्मा विश्वासयोग्य सुसमाचार प्रचार सेवा के राह में आनेवाले कुछ सामान्य बाधाओं [या कुछ घटनाओं में हम इसे “बहाने” भी कह सकते हैं] को देखने में हमें सहायता प्रदान करेंगे | मैं यह प्रार्थना करता हूँ कि पवित्र आत्मा हमें इस बात के लिए भी बाध्य करे कि हम अपने तरीकों को बदलें और इन बाधाओं पर जय पाने के लिए उसका सहारा लें | इस तरह से हम यीशु मसीह के विश्वासयोग्य गवाह बनने की अपनी बुलाहट को पूरा कर पायेंगे | 

परन्तु, इन सामान्य बाधाओं को देखने से पहले, आईये हम सुसमाचार प्रचार की एक सरल परिभाषा को देख लें: पापों के लिए मरने और पुनः ज़ी उठने वाले  यीशु मसीह के बारे में शुभ – सन्देश का प्रेममय और विश्वसनीय घोषणा करना ताकि मन फिराने और केवल उस पर विश्वास करने के द्वारा लोगों को उनके पापों की क्षमा मिले, सुसमाचार प्रचार कहलाता है | 

तो, अपने मन के किसी कोने में इस परिभाषा को रखे हुए, आईये हम आगे पढ़ें: 

1. मुझे डर है कि मेरी बातों से उसे ठेस पहुँच सकती है और जिसके कारण उसके साथ मेरा रिश्ता समाप्त हो सकता है | 

जो परमेश्वर के साथ शत्रुता में हैं उनके लिए सुसमाचार का सन्देश घृणास्पद है | तौभी, हमें प्रेम में होकर सत्य को बताने के लिए संघर्ष करना चाहिए और रिश्ता समाप्त हो जाने के बारे में सोचते हुए डरना नहीं चाहिए | आखिरकर, यह परमेश्वर है जो हमें रिश्तेदारी देता है! इसलिए हमें अपनी रक्षा करनी है ताकि हम लोगों के साथ अपने रिश्ते को परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते के ऊपर न रखें | 

मत्ती 10:37 “जो माता या पिता को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं और जो बेटा या बेटी को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं |” 

2. वे मुझसे कह सकते हैं कि मैं अपने काम से काम रखूँ |

दूसरों के आत्मिक अवस्था के बारे में चिंता करना ही, एक मसीही का कार्य है | ज़रा सोचिये, कि यदि किसी ने [जिसने हमें सुसमाचार सुनाया] यह सोचा होता कि हमारी आत्मिक अवस्था के बारे में चिंता करना उसका काम नहीं था तो हम कहाँ होते!

एक बार डी. एल. मूडी शिकागो शहर की एक गली में एक बिल्कुल ही अपरिचित व्यक्ति के पास पहुँचे और उससे पूछा, “श्रीमान, क्या आप एक मसीही हैं?” उसने उत्तर दिया, “अपने काम से काम रखो |” तब मूडी ने तुरंत जवाब दिया, “श्रीमान, यही मेरा कार्य है |”

2 कुरिन्थियों 5:20 “सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो |”

3. मैं नहीं जानता कि आरम्भ कहाँ से करूँ |

हम हमेशा अपनी गवाही देने के साथ आरम्भ कर सकते हैं – यह बताकर कि हमारे लिए यीशु ने क्या किया | गिरासेनियों के देश में जिस व्यक्ति से यीशु ने दुष्टात्मा को निकाला था उसे यीशु ने यही करने के लिए कहा |

लूका 8:39, “अपने घर को लौट जा और लोगों से कह दे, कि परमेश्वर ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं: वह जाकर सारे नगर में प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किए |”

हमारी गवाही हमारे बारे में दी गयी संक्षिप्त जानकारी होती है और कोई भी उनको नकार नहीं सकता है | हमारी गवाही का गहरा प्रभाव पड़ता है बशर्ते पवित्र आत्मा ऐसा करने का चुनाव करे!

4. मैं अभी बाईबल सीख ही रहा हूँ | मेरे पास उन सारे प्रश्नों के उत्तर नहीं हैं जो लोग पूछ सकते हैं | 

गिरासेनियों के देश में जिस व्यक्ति से दुष्टात्मा निकाला गया था [लूका 8:26–39] वह बाईबल की अधिक जानकारी नहीं रखता था | तौभी, अपने मनपरिवर्तन के तुरंत बाद ही वह प्रचार करने लगा [लूका 8:39] | हमारे पास उन सारे प्रश्नों के उत्तर कभी नहीं होंगे जो अविश्वासी पूछ सकते हैं | तौभी, यह बात हमें गवाही देने से नहीं रोकनी चाहिए | यह कहने में कोई बुराई नहीं है कि, “मैं नहीं जानता कि उत्तर क्या है | परन्तु मैं उत्तर मालूम करूंगा और आपके पास वापस लौटूंगा?” किसी ऐसे व्यक्ति से सलाह लें जो आत्मिक बातों में सहायता कर सकता है और फिर प्रश्न पूछने वाले व्यक्ति के पास वापस लौटें | और यदि तब भी आपके पास कोई उत्तर नहीं है  तो यह कहने में भी बुराई नहीं है कि, “मैं नहीं जानता!” सभी प्रश्नों का उत्तर होना सुसमाचार प्रचार नहीं है!

हडसन टेलर ने एक चीनी पासबान के बारे में बताया जो हमेशा नए चेलों को शिक्षा देता था कि उन्हें जितना अधिक संभव हो गवाही देना चाहिए | एक बार एक जवान चेला से मिलने पर उस पासबान ने पूछा, “भाई, आपको उद्धार पाए कितना समय हो गया है |” उस व्यक्ति ने उत्तर दिया कि उसे उद्धार पाए तीन महीने हो चुके थे | फिर पासबान ने पूछा, “और कितने लोगों को आपने उद्धारकर्ता के लिए जीता है?”  

उस चेले ने जवाब दिया, “अरे, मैं तो अभी सीख ही रहा हूँ” | असहमति में सिर हिलाते हुए पासबान ने कहा, “हे जवान, प्रभु आपसे यह अपेक्षा नहीं करता है कि आप एक पूर्ण – विकसित प्रचारक बन जायें, परन्तु वह यह अपेक्षा अवश्य करता है कि आप एक विश्वासयोग्य गवाह बनें | मुझे बताईये, एक मोमबत्ती कब चमकना आरम्भ करती है – क्या तब जब यह जलते हुए आधा पिघल जाता है?” 

जवाब मिला, “नहीं, जैसे ही जलाते हैं वैसे ही वह चमकने लगता है |” पासबान ने कहा, “बिल्कुल सही | अपनी रोशनी भी तुरंत चमकने दो |”

5. मुझे सुसमाचार प्रचार के कुछ और सृजनात्मक विधियाँ सीखनी हैं | फिर मैं सुसमाचार प्रचार करूँगा |

हाँ, हमारे सुसमाचार प्रचार में सुधार करने की आवश्यकता हमेशा बनी रहती है | तौभी, यदि हम सुसमाचार प्रचार के बारे में जो थोड़ा – बहुत जानते हैं उसमें विश्वासयोग्य नहीं हैं, तो क्या कुछ और विधियाँ सीखने पर हम विश्वासयोग्य हो जायेंगे ?

लूका 16 :10, “जो थोड़े से थोड़े में सच्चा है, वह बहुत में भी सच्चा है: और जो थोड़े से थोड़े में अधर्मी है, वह बहुत में भी अधर्मी है|”

यद्यपि उपरोक्त आयत का प्रत्यक्ष अनुप्रयोग धन के भंडारीपन से संबंधित है, तौभी इसका एक विस्तारित अनुप्रयोग सुसमाचार प्रचार के संबंध में भी किया जा सकता है |

6. वे सोचेंगे कि मैं पागल और एक धार्मिक कट्टरपंथी हूँ |

मसीही इस संसार का नहीं है, वह तो किसी अन्य संसार का है | इसलिए, इस संसार के लोगों के द्वारा मसीहियों को “भिन्न” लोग समझना स्वाभाविक है | स्मरण रखें, यह बिल्कुल हुआ होगा कि हम भी मसीही बनने से पहले सोचते रहे होंगे कि मसीही लोग पागल हैं!

1 कुरिन्थियों 1:18, “क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है |”

1 कुरिन्थियों 4:10, “हम मसीह के लिए मूर्ख हैं |”

7. सुसमाचार प्रचार कलीसिया के अगुवों की जिम्मेदारी है |

हालांकि कलीसिया की किसी सभा में या सुसमाचारीय सभा में सुसमाचार सुनने के लिए अविश्वासियों को आमंत्रित करना सुसमाचार प्रचार करने का एक तरीका है, तौभी यह व्यक्तिगत रूप से गवाही देने का कोई विकल्प नहीं है | प्रभु अपने प्रत्येक अनुयायी को शुभ – समाचार की  घोषणा करने के लिए अपना मुख खोलने की आज्ञा देता है | और यही आरंभिक विश्वासियों का तरीका था |

प्रेरितों के काम 8:4, “जो तित्तर बित्तर हुए थे, वे सुसमाचार सुनाते हुए फिरे |”

8. मैं एक बहिर्मुखी व्यक्ति नहीं हूँ | स्वभाव से, मैं अत्याधिक शर्मीला और लोगों से बात करने से डरने वाला व्यक्ति हूँ |

परमेश्वर ने भय की आत्मा को निकाल दिया है और उसके बारे में बोलने के लिए उसने हममें सामर्थ की आत्मा भर दी है|

प्रेरितों के काम 1:8; “परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे |”

2 तीमुथियुस 1: 7–8,7 क्योंकि परमेश्‍वर ने हमें भय की नहीं, पर सामर्थ, और प्रेम, और संयम की आत्मा दी है | 8 इसलिए हमारे प्रभु की गवाही से, और मुझसे जो उसका कैदी हूँ, लज्जित न हो, पर उस परमेश्‍वर की सामर्थ के अनुसार सुसमाचार के लिये मेरे साथ दुःख उठा |”

9. मैं लोगों से बात करने के स्थान पर उनके लिए प्रार्थना करूँगा| 

हालांकि सुसमाचार प्रचार के कार्य में प्रार्थना करना आवश्यक है, तौभी प्रभु ने हमें अवश्य ही यह आज्ञा दी है कि हम अपना मुँह खोलें और दूसरों को उसके बारे में बतायें |

लूका 24:47, और यरूशलेम से लेकर सब जातियों में मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार, उसी के नाम से किया जाएगा |

लूका 8: 39, अपने घर को लौट जा और लोगों से कह दे, कि परमेश्वर ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं: वह जाकर सारे नगर में प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किए |

यह आवश्यक है कि हम खोए हुए लोगों के बारे में प्रभु के सम्मुख बात करें | यह प्रार्थना है | परन्तु यह भी आवश्यक है कि हम प्रभु के बारे में खोए हुए लोगों के सम्मुख बात करें | यह सुसमाचार प्रचार है | इनमें से कोई भी दूसरे का विकल्प नहीं है |

10. वे अत्याधिक हठीले लगते हैं | मैं नहीं समझता कि वे सन्देश को स्वीकार करेंगे |

परमेश्वर प्रचार किए गए सुसमाचार के माध्यम से कठोर हृदयों को तोड़ने और उनके स्थान पर कोमल ह्रदय देने के कार्य में लगा हुआ है| 

यिर्मयाह 23:29, यहोवा की यह भी वाणी है कि क्या मेरा वचन आग सा नहीं है ? फिर क्या वह ऐसा हथौड़ा नहीं जो पत्थर को फोड़ डाले?

उदाहरण के रूप में पौलुस के बारे में सोचिये | न केवल उसने सुसमाचार का विरोध किया वरन साथ ही उसने कई मसीहियों को उनके विश्वास के कारण मौत के घाट उतारने में सक्रिय भूमिका भी निभाई | तौभी, परमेश्वर ने उसे बदला [1 तीमुथियुस 1:12–16; प्रेरितों के काम 26:9–18]! परमेश्वर जो कर सकता है हम उसे कभी कम नहीं आँक सकते | हमारी भूमिका तो बस यही है कि हम सत्य को विश्वासयोग्यता के साथ प्रस्तुत करें | परिणाम तो परमेश्वर के हाथों में है | 

तो, हमने समझ लिया – सुसमाचार प्रचार की राह में आनेवाले 10 बाधायें |

अगले लेख में हम सुसमाचार प्रचार की राह में आनेवाले कुछ और बाधाओं को देखेंगे | तब तक के लिए, परमेश्वर हमारी सहायता करे ताकि हम इन बाधाओं पर जय पा सकें और उसके सुसमाचार को विश्वासयोग्यता के साथ प्रचार कर सकें!

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