विस्मयकारी अनुग्रह – कितनी मधुर ध्वनि

(English version: Amazing Grace – How Sweet The Sound)
जॉन न्यूटन द्वारा रचित “अमेजिंग ग्रेस” को यदि मसीही विश्वास का सर्वाधिक प्रसिद्ध गीत न भी कहें तौभी यह गीत सर्वाधिक प्रसिद्ध गीतों में से एक तो है ही | किसी समय अत्यंत पापमय जीवन जीने वाले जॉन न्यूटन ने अनुग्रह को इतना विस्मयाकारी पाया कि इसने उसे इस अद्भुत गीत की रचना करने की प्रेरणा दी जो कि मसीहियों और साथ ही साथ कई गैर मसीहियों के लिए भी एक सुपरिचित गीत है |
तथापि, जॉन न्यूटन द्वारा इस गीत को रचे जाने से सदियों पहले ही इस गीत की सच्चाईयाँ एक व्यक्ति के जीवन में भली–भाँति गूँज़ी होगी, उस व्यक्ति के जीवन में जिसने अपने जीवन के अंतिम घड़ी में अनुग्रह पाया | प्रभु यीशु मसीह द्वारा क्रूस पर से कही गई सात वाणियों में से एक वाणी उस मनफिराने वाले डाकू को कहे गए सांत्वना के वचन थे, और ये वचन “मैं तुझ से सच कहता हूं; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा” [लूका 23:43] दर्शाते हैं कि कैसे इस मनुष्य ने अंतिम घड़ी में अनुग्रह पाया | प्रभु यीशु के मुख से निकले इन वचनों ने कई हताश लोगों को आशा दी है |
जैसा कि लूका 23:39-43 में वर्णन है, सम्पूर्ण घटना यह शिक्षा देती है कि कभी भी इतनी देर नहीं हो जाती है कि कोई मन फिराने वाला पापी परमेश्वर के अद्भुत उद्धारकारी अनुग्रह को पाने से वंचित रह जाये | आईए, विश्वास और उद्धारकारी अनुग्रह के साथ उनके संबंध के बारे में इस घटना में प्रकाशित कुछ सच्चाईयों को सीखें और फिर 2 अनुप्रयोग को देखें |
I. झूठे मनफिराव के प्रमाण [39]|
जिस डाकू ने मन नहीं फिराया था उसके कार्यों की जांच-पड़ताल करने पर, हम 2 ऐसे गुणों को देखते हैं जो झूठे मनफिराव को दर्शाती हैं |
क) परमेश्वर का कोई भय नहीं : “जो कुकर्मी लटकाए गए थे, उन में से एक ने उस की निन्दा करके कहा, “क्या तू मसीह नहीं ?”” [लूका 23:39] | इस अवस्था में भी वह परमेश्वर से नहीं डरा | कई लोग इसके समान हैं | इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि परमेश्वर उन्हें विभिन्न परिस्थतियों द्वारा कितना नम्र बना रहे हैं , वे एक धर्मी परमेश्वर से नहीं डरते हैं अर्थात, उतना नहीं डरते कि अपने पापों से मन फिरायें |
ख) केवल पार्थिव आशीषों पर ध्यान केन्द्रित रहता है : लूका 23:39 में यह मन न फिराया हुआ डाकू कहना जारी रखता है, “तो फिर अपने आप को और हमें बचा !” उसे अपने पापों से बचने की चिंता नहीं थी, उसकी एकमात्र चिंता थी, अपने वर्तमान क्लेशों से छुटकारा पाना | कई लोग इस मनुष्य के समान हैं | वे लोग मसीह के पास केवल कुछ पार्थिव लाभ पाने के लिए आते हैं: समस्याएँ जिनसे मुक्ति पाना है, रिश्ते जिन्हें सुधारना है, दूसरों के द्वारा स्वीकार्यता, अच्छा स्वास्थ्य, धन और संपत्ति | तौभी इनमें से कोई भी कारण मसीह के पास आने के लिए एक उचित कारण नहीं है |
II. सच्चे मनफिराव के प्रमाण [40 – 42]|
मन न फिराए हुए डाकू के कार्यों की तुलना में मन फिराने वाले डाकू के कार्य 3 ऐसे गुणों को प्रगट करते हैं जो कि सच्चे मनफिराव का प्रमाण देती हैं |
क) परमेश्वर के प्रति एक सच्चा भय [40] : “इस पर दूसरे ने उसे डांटकर कहा, “क्या तू परमेश्वर से भी नहीं डरता? तू भी तो वही दण्ड पा रहा है”” [लूका 23:40] | मत्ती 27:44 और मरकुस 15:32 बताता है कि दोनों ही डाकू प्रभु यीशु का अपमान कर रहे थे | परन्तु, यीशु मसीह की बातों और कार्यों पर ध्यान देने के पश्चात उसका ह्रदय नर्म पड़ने लगा | यीशु मसीह द्वारा अपने शत्रुओं के लिए की गई प्रार्थना, “हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं” [लूका 23:34], ने उसके ह्रदय में कार्य करना आरंभ कर दिया था | इन सब बातों ने मिलकर परमेश्वर के प्रति एक स्वस्थ भरोसे का मार्ग प्रशस्त किया [नीतिवचन 1:7] और इसने अंततः उसमें कार्य किया और उसने अपने पापों से मन फिराया |
ख) पाप को स्वीकारना [41] : “हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं; पर इस ने कोई अनुचित काम नहीं किया” [लूका 23:41] | मन फिराने वाले डाकू ने अपने पापों के लिए अपने माता – पिता, समाज या परिस्थितियों को दोष नहीं दिया | उसने अपने पापों की सम्पूर्ण जिम्मेदारी अपने ऊपर ली, जैसा कि इन बातों से प्रगट है, “हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं ” |
ग) छुटकारे के लिए केवल मसीह पर भरोसा करना [42] : तब उस ने कहा, “हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना” [लूका 23:43] | केवल मन फिराने से ही किसी का उद्धार नहीं हो जाएगा | जो लोग वास्तव में मन फिराए हुए हैं, वे न केवल अपने पापों से फिर जायेंगे परन्तु साथ ही साथ इस बात को भी स्वीकारेंगे कि उनके स्वयं के प्रयास से उद्धार संभव नहीं है | वे अपने पापों की क्षमा के लिए केवल यीशु पर भरोसा करेंगे [प्रेरितों के काम 20:21] | और ठीक यही काम इस मन फिराने वाले डाकू ने किया |
उसके द्वारा प्रभु से किए गए निवेदन से उभरकर सामने आने वाली कुछ सच्चाईयों पर ध्यान दीजिए |
a. पुनरुत्थान पर विश्वास : प्रभु यीशु को क्रूस पर देखने के पश्चात भी, उसने पूर्ण विश्वास किया कि प्रभु यीशु मृतकों में से ज़ी उठेंगे और एक दिन अपना राज्य स्थापित करने के लिए राजा के रूप में वापस आयेंगे | उसकी बातें, “जब तू अपने राज्य में आए” [लूका 23:42], इस सत्य को बड़ी स्पष्टता से दर्शाती हैं | सच्चे विश्वास का एक चित्र!
b.भावी न्याय पर विश्वास : वह इस बात को जानता था कि भविष्य में वह अपने पापों के कारण प्रभु यीशु को न्यायी के रूप में देखेगा [प्रेरितों 17:30 – 31] | इसीलिए वह इस बात को कहता रहा, “मेरी सुधि लेना” |
c. उद्धार के लिए भले कार्यों पर कोई भरोसा नहीं : उसने यह नहीं कहा, “मेरे भले कार्यों की सुधि लेना,” परन्तु कहा, “मेरी सुधि लेना” | उसने अपने उद्धार के लिए अपने भले कार्यों पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं किया | बल्कि इसके स्थान पर, वह अपने उद्धार के लिए केवल यीशु पर निर्भर रहा|
d. उसने पार्थिव [सांसारिक ] छुटकारे पर ध्यान नहीं लगाया : उसने क्रूस पर से छुटकारे के लिए प्रभु यीशु से निवेदन नहीं किया [जैसा कि मन न फिराने वाले डाकू ने किया था], परन्तु उसने केवल आनेवाले संसार में करुणा दिखाए जाने के लिए ही निवेदन किया |
III. मसीह में सच्चे विश्वास और मनफिराव का परिणाम [43] |
मसीह में सच्चे विश्वास और मनफिराव की स्वाभाविक प्रगति उसे परमेश्वर के विस्मयकारी अनुग्रह की प्राप्ति तक ले गई | लूका 23:43 में हम पढ़ते हैं, यीशु ने उसे उत्तर दिया, “मैं तुझ से सच कहता हूं; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा” | हालांकि उस मन फिराने वाले डाकू ने भविष्य में किसी दूरस्थ समय के लिए करुणा माँगी थी, परन्तु उसने त्वरित करुणा पाई | उसे कोई भी अच्छा कार्य करने की आवश्यकता नहीं पड़ी और न ही उसे मृत्यु पश्चात किसी प्रकार के दण्ड सहने की आवश्यकता थी | बल्कि, उसे तो त्वरित क्षमा प्रदान की गई , जैसा कि “आज ही” [अक्षरशः, इसी दिन] शब्द स्पष्टता से दर्शाता है | यह प्रभु यीशु के द्वारा किया गया कोई झूठा वादा नहीं था क्योंकि परमेश्वर “झूठ नहीं बोलता है” [तीतुस 1:2] | ज़ी हाँ, “जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा” [रोमियों 10:13], और वह भी तुरंत!
दो अनुप्रयोग :
1. कभी भी इतनी देर नहीं होती है कि परमेश्वर के क्षमाशील अनुग्रह को प्राप्त न किया जा सके |
मन फिराने वाला डाकू इस सत्य के उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में दिखाई पड़ता है | यदि आपने अब तक मन नहीं फिराया है और मसीह पर भरोसा नहीं किया है, तो इस विचार का त्याग न करें | इस लेख को पढ़ने वाले आप में से कुछ लोग सोच रहे होंगे : “मैं इतना बुरा हूँ कि मुझे क्षमा नहीं किया जा सकता |” यदि ऐसा है, तो आप हताश न हों | प्रभु यीशु के लहू में प्रत्येक पाप को क्षमा करने की सामर्थ है | क्रूस और उसके पश्चात का पुनरुत्थान हमारे समस्त पापों की क्षमा के लिए परमेश्वर के प्रावधान और निश्चयता की गारण्टी देते हैं | कुछ अन्य पाठक सोच रहे होंगे: “मैं आख़िरी क्षण तक इंतज़ार करूँगा और फिर अपने जीवन को ठीक करूँगा |” ऐसी सोच के कई खतरे हैं:
a. यदि आप अभी अपने पापों को त्यागने के इच्छुक नहीं हैं तो फिर क्या गारण्टी है कि आप भविष्य में ऐसा करेंगे ? समय गुजरने के साथ ह्रदय बस कठोर होता जाता है |
b. आप नहीं जानते कि आपकी मृत्यु कब होगी | स्मरण रखें कि एक डाकू ने अपने पापों को मसीह को देकर अपने प्राण क्रूस पर त्यागे; जबकि दूसरा डाकू अपने पापों में पड़ा हुआ ही क्रूस पर मर गया | किसी बुद्धिमान मसीही ने लिखा है, “हमारे पास मृत्यु–शैय्या में मन फिराने की एक घटना है ताकि कोई भी हताश न होने पाये; और हमारे पास केवल एक ही घटना है ताकि कोई भी इसे अनिवार्य सत्य न मान ले |”
2. मसीही बनना इस संसार में आराम [सांत्वना] की गारण्टी नहीं देता है परन्तु यह एक अद्भुत स्वर्गीय जीवन की गारण्टी देता है |
मन फिराने वाले डाकू को यीशु मसीह से क्षमा मिलने के बावजूद क्रूस की वेदना से मुक्ति नहीं मिली | दूसरे शब्दों में कहें तो, यीशु के पास आने से इस संसार की उसकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ | परन्तु, उसकी आशा इस वर्तमान जीवन पर केन्द्रित न होकर इस संसार के परे एक जीवन पर केन्द्रित होने के कारण, उसने अपने जीवन में अपनी इस नियति को आनंदपूर्वक स्वीकार किया |
इसी प्रकार से, प्रत्येक मसीही की सच्ची आशा उस आगामी जीवन पर आधारित होनी चाहिए जब परमेश्वर “आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहेंगी” [प्रकाशितवाक्य 21:4] | हमें आनन्दपूर्वक “एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखनी चाहिए जिन में धामिर्कता वास करेगी ” [2 पतरस 3:13] |