नर्क – इसकी वास्तविकता और प्रभाव (भाग 2)

Posted byHindi Editor May 30, 2023 Comments:0

(English version: Hell – Its Realities and Implications – Part 2)

यह उस श्रृंखला का द्वितीय और अंतिम लेख है, जिसका शीर्षक है, “नर्क  – इसकी वास्तविकता और प्रभाव” | प्रथम भाग में हमने नर्क की निम्नांकित चार वास्तविकताओं को देखा :

  1. नर्क, एक वास्तविक स्थान है |
  2. नर्क, एक सचेतन अनन्त पीड़ा का स्थान है |
  3. नर्क, एक ऐसा स्थान है, जहाँ अत्यंत दुष्ट लोग और सर्वाधिक सभ्य लोग साथ में होंगे |
  4. नर्क, एक ऐसा स्थान है जहाँ कोई आशा नहीं है |

इन भयावह वास्तविकताओं के प्रकाश में, 4 अनुप्रयोग दिखाई पड़ते हैं – तीन प्रभाव उनके लिए हैं जो मसीही हैं और एक उनके लिए जो मसीही नहीं हैं |

मसीहियों के लिए प्रभाव :

1. हमें सदैव परमेश्वर का धन्यवाद करते रहना चाहिए |

यीश मसीह ने क्रूस पर से पुकारा, “हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर तूने मुझे क्यों छोड़ दिया ?” (मत्ती 27:46) | क्योंकि उसे छोड़ दिया गया, हम लोग, जिन्होंने परमेश्वर के अनुग्रह से प्रभु यीशु पर विश्वास किया है, कभी भी छोड़े नहीं जायेंगे | दूसरे शब्दों में कहें तो, प्रभु यीशु ने दुःख सहते हुए उन समस्त क्रोध को सह लिया, जिसके हम पात्र थे | उसने मौत को चखा (इब्रानियों 2:9) ताकि हमें कभी भी नर्क की भयावहता को सहना न पड़े – एक क्षण के लिए भी नहीं ! इस बात में कोई आश्चर्य नहीं कि 1 थिस्सलुनीकियों 1:10 में पौलुस कहता है, “यीशु… हमें आनेवाले प्रकोप से बचाता है |”

क्या यह सच्चाई हमें सदैव धन्यवाद से परिपूर्ण रहने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए ? इस धरती में जब चीजें हमारे इच्छानुसार न हों, तब क्या हमें शिकायत करने का अधिकार भी है ? हमें जो तकलीफें सहनी हैं – वे केवल इसी धरती पर सहनी हैं – और वह भी बहुत ही कम समय के लिए | अब, उन दुखों की तुलना स्वर्ग के अनंतकालीन आनन्द से कीजिए ! उसने हमें नर्क के अनंतकालीन क्लेश से छुड़ा लिया है | हम इस धरती पर अल्प समय के लिए क्लेश से होकर गुजरने के कारण मात्र से, उसको धन्यवाद देना क्यों बंद कर दें?

अगली बार जब हम पर इस जीवन की परीक्षाओं के कारण कुड़कुड़ाने या फिर हताश होने के लिए भी दबाव आये, तो हम थम जायें और नर्क की भयावहता पर विचार करें और यह भी विचार करें कि कैसे हमारे स्थान पर दुःख सहने के द्वारा प्रभु यीशु ने हमें यहाँ (नर्क) से बचाया ! तब हम सदैव धन्यवाद से परिपूर्ण रहेंगे, परीक्षाओं के मध्य में भी |

लन्दन शहर में सेवा करने वाले एक मिशनरी को एक पुराने भवन में बुलाया गया जहाँ एक महिला मृत्यु शैय्या पर थी, वह किसी बीमारी के अंतिम चरणों में थी | वह एक छोटा और ठण्डा कमरा था और वह महिला जमीन पर लेटी हुई थी | इस मिशनरी ने उस महिला की सहायता करने का प्रयास किया और पूछा कि उसे क्या चाहिए और तब उसने यह उत्तर दिया, “मेरे पास वह सब है जिसकी मुझे आवश्यकता है, मेरे पास यीशु मसीह है |”

वह व्यक्ति ( मिशनरी ), इस बात को कभी नहीं भूला, वह वहाँ से चला गया और उसने ये बातें लिखीं, “लन्दन शहर के हृदयस्थल में, गरीबों की बस्ती में, ये प्रज्वलित सुनहरे शब्द मुखरित हुए, ‘मेरे पास मसीह है, मैं और क्या चाहूँ ?’ एक अटारी ( पुराने समय में किसी भवन की छत पर निर्मित सुविधाहीन कमरा ) में जमीन पर लेटी हुई मृत्यु की ओर जाती हुई, एक असहाय महिला ने ये बातें कहीं, जिसके पास इस धरती की कोई भी सुख – सुविधा नहीं थी, ‘मेरे पास मसीह है, मैं और क्या चाहूँ ?’ जिसने इन शब्दों को सुना, वह संसार के महान बाजार  से उसके लिए कुछ  ले आने को दौड़ पड़ा, इसकी आवश्यकता नहीं थी, वह यह कहते हुए मर गयी, ‘मेरे पास मसीह है, मैं और क्या चाहूँ ?’” 

हे मेरे प्रियों, मेरे समान ही पापी लोगों, चाहे आप उच्च वर्ग के हों या निम्न वर्ग के, धनी हों या गरीब, क्या आप धन्यवाद से भरकर कह सकते हैं, “मेरे पास मसीह है, मैं और क्या चाहूँ ?”  

2. हमें सदैव पवित्रता का पीछा करते रहना चाहिए |    

नर्क के बारे में बार – बार विचार करने से,  हमें पाप से भागते रहने और पवित्रता का पीछा करते रहने के लिए प्रेरणा मिलती है |  मत्ती 5:29–30 में यीशु मसीह ने कहा, “29 यदि तेरी दाहिनी आँख तुझे ठोकर खिलाए, तो उसे निकालकर फेंक दे ; क्योंकि तेरे लिये यही भला है कि तेरे अंगों में से एक नष्‍ट हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए | 30 यदि तेरा दाहिना हाथ तुझे ठोकर खिलाए, तो उस को काटकर फेंक दे ; क्योंकि तेरे लिये यही भला है कि तेरे अंगों में से एक नष्‍ट हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए |”

कुल मिलाकर कहें तो, यीशु मसीह यह कह रहे थे: आज्ञाकारिता कितनी भी महँगी क्यों न हो, जब उसकी तुलना उस अनाज्ञाकारिता के कीमत से की जाती है, जो नर्क की ओर ले जाता है, तो फिर आज्ञाकारिता बिल्कुल भी महँगा नहीं लगता है |  चौड़ा मार्ग विनाश का रास्ता है | वहीं दूसरी ओर, संकरा मार्ग – अपने आप का इंकार करने का मार्ग, क्लेशों से भरा मार्ग, अनंत जीवन का रास्ता है | इसलिए, अगली बार जब हम पाप करने के लिए परखें जायें, तो हम नर्क की वास्तविकताओं पर विचार करें और स्मरण रखें कि पाप करने से कोई लाभ नहीं होगा | पवित्रता का पीछा करने की मजदूरी आपको मिलेगी – अनन्तकाल तक!

3. हमें सदैव खोये हुओं तक पहुँचते रहना चाहिए

नर्क की वास्तविकताओं पर विचार करते हुए – कितना भयानक स्थान – हमारे ह्रदय में खोए हुओं के प्रति प्रेम उमड़ना चाहिए | यदि हम विश्वास करते हैं (और हमें करना चाहिए) कि नर्क एक वास्तविक और अनन्त स्थान है, जहाँ वे लोग जिनके पास यीशु नहीं है अनन्तकाल के क्लेश को सहने के लिए जायेंगे, तो फिर क्या हमारे ह्रदय में खोए हुओं के लिए प्रार्थना करने और उनको सुसमाचार सुनाने का अत्याधिक बोझ नहीं होना चाहिए ? क्या हमारे विचार सुसमाचार – प्रचार पर और अधिक केन्द्रित नहीं होने चाहिए | क्या अपने धन को और अधिक देने के लिए हमें इच्छुक नहीं होना चाहिए ताकि सेवाकार्य आगे बढ़ सके ? हम क्यों अनन्त बातों के स्थान पर, अस्थाई वस्तुओं पर अपनी इतनी अधिक ऊर्जा व्यय करते हुए जीवन बिता रहे हैं?  

लूका 16:19–31 के उस धनवान में अपने परिवार के जीवित सदस्यों को सुसमाचार सुनाने की प्रबल इच्छा थी क्योंकि उसने अधोलोक की भयावहता का अनुभव कर लिया था (लूका 16:27–28) | नर्क की वास्तविकता को समझने के लिए हमें, नर्क जाने की आवश्यकता नहीं है | बाईबल नर्क के बारे में जो बताती है, हम विश्वास के साथ उसे मानते हैं | यह विश्वास हमें प्रेरित करना चाहिए कि हम खोए हुओं से निवेदन करें कि वे अपने पापों से फिरें और मसीह की ओर मुड़ें | लोगों से स्वयं परमेश्वर अपने  भविष्यद्वक्ताओं द्वारा निवेदन करता है कि वे उसकी ओर मुड़ें और इस प्रकार नर्क की भयावहता से बच जायें | यहाँ एक उदाहरण प्रस्तुत है :

यहेजकेल 33:11, “इसलिये तू उनसे यह कह, परमेश्‍वर यहोवा की यह वाणी है : मेरे जीवन की सौगन्ध, मैं दुष्‍ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न नहीं होता, परन्तु इससे कि दुष्‍ट अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे ; हे इस्राएल के घराने, तुम अपने अपने बुरे मार्ग से फिर जाओ ; तुम क्यों मरो?”

इसी प्रकार से, हमें भी परमेश्वर की ओर से लोगों से निवेदन करना है के वे अपने पापों से फिर जायें, एक नया ह्रदय और एक नई आत्मा पायें और इस प्रकार नर्क की अनन्त भयावहता से बच जायें | हमें इस बात से नहीं डरना चाहेंगे कि वे हमारी नहीं मानेंगे | हम अपने अहंकार में नहीं रह सकते हैं | हमें अवश्य ही नर्क के उन अन्तहीन क्लेशों का ध्यान रखना चाहिए, जिनका  सामना, यीशु का इंकार करने के कारण, लोगों को करना पड़ेगा और यह बात हमें प्रेरित करनी चाहिए कि हम, उनसे मसीह के पास आने का सप्रेम निवेदन करें |  

अवश्य ही हमें अपनी सुख – सुविधाओं को त्यागने और त्यागपूर्ण जीवन जीने के लिए इच्छुक होना चाहिए ताकि बहुतों तक सुसमाचार पहुँच सके | यह अत्याधिक विनाशकारी परिस्थिति है | यरूशलेम में प्रवेश करते समय प्रभु यीशु खोए हुए पापियों के लिए रोये (लूका 19:41), क्योंकि वह उनसे प्रेम करता था | हममें उनके प्रति वैसा ही प्रेम होना चाहिए – प्रेम जो उनके लिए प्रार्थना करने में और उनको सुसमाचार सुनाने में दिखाई पड़ता है !  

हडसन टेलर 18 वीं सदी के एक मिशनरी थे और वे चीन जाने वाले पहले मिशनरी बने | चेन जाने से पहले वे एक चिकित्सक सहायक के रूप में कार्यरत थे | उनके आरंभिक मरीजों में, एक ऐसा आदमी था जिसके पाँव में गंभीर सड़न थी | यह आदमी एक अति गुस्सैल नास्तिक था | जब कोई उससे अनुमति माँगता था कि क्या वह उसके लिए पवित्रशास्त्र से कोई भाग पढ़ दे, तब वह आदमी उसे ऊँची आवाज में वहाँ से निकल जाने को कहता था | एक बार जब एक पासबान उससे मिलने आया, तो उसने उसके चेहरे पर थूक दिया | हडसन का कार्य था, प्रतिदिन इस आदमी की पट्टियाँ  बदलना | उसने उसके उद्धार के लिए गंभीरता से प्रार्थना करना भी आरम्भ किया | आरंभिक कुछ दिनों तक उसने उसे थोड़ा भी सुसमाचार नहीं सुनाया, बल्कि अपना ध्यान सावधानीपूर्वक उस आदमी की पट्टियाँ बदलने में लगाया | इससे उसके दर्द में काफ़ी कमी आई, और वह आदमी बहुत प्रभावित हुआ |

परन्तु, हडसन टेलर इस आदमी के अनन्त नियति को लेकर चिंतित थे | इसीलिए, अगले दिन सावधानीपूर्वक पट्टियाँ बदलने के बाद, उसने कुछ अलग किया | वहाँ से बाहर न जाकर, उसने उस आदमी के बिस्तर के बगल में घुटने टेक दिए और उसे सुसमाचार सुना दिया | उसने उसे उसकी आत्मा की प्रति अपनी चिन्ता से अवगत कराया, क्रूस पर प्रभु यीशु की मृत्यु के बारे में बताया और उससे कहा कि वह अपने पापों से उद्धार पा सकता था | वह आदमी क्रोधित हो गया, उसने कुछ नहीं कहा, और हडसन की ओर अपनी पीठ फेर ली | तब, हडसन उठा, उसने अपने चिकित्सीय उपकरण समेटे और वहाँ से चला गया | 

यह सिलसिला कुछ समय तक चलता रहा | प्रतिदिन, हडसन प्यार से उसकी पट्टियाँ बदलता, फिर उसके बिस्तर के बगल में घुटने टेकता और यीशु के प्रेम के बारे में बताता | और प्रतिदिन वह आदमी खामोश रहता – और अपनी पीठ हडसन की तरफ फेर लेता | कुछ समय के बाद, हडसन टेलर सोचने लगा – कि कहीं वह भलाई के स्थान पर उसके साथ बुरा तो नहीं कर रहा था ? क्या उसकी बातें उस आदमी को और कठोर बना रही थीं ?

इसीलिए, बड़े ही दुःख के साथ हडसन टेलर ने यह निश्चय किया कि वह मसीह के बारे में बात करना बंद कर देगा | अगले दिन उसने पुनः उस आदमी की पट्टियाँ बदली | परन्तु उसके बाद, बिस्तर के बगल में घुटने टेकने के स्थान पर वह बाहर निकलने के लिए दरवाजे की ओर बढ़ने लगा | परन्तु दरवाजे से निकलने से पहले, उसने मुड़कर उस आदमी को देखा | वह देख पा रहा था कि वह आदमी चौंका हुआ था – क्योंकि जब से हडसन ने सुसमाचार सुनाना आरम्भ किया था, उसके बाद से यह पहला दिन था, जब हडसन ने उसके बिस्तर के बगल में घुटने टेककर यीशु के बारे में न बताया हो |

और फिर, दरवाजे पर खड़े – खड़े ही, हडसन टेलर का दिल भर आया | वह रोने लगा | वह वापस उसके बिस्तर के पास चला गया और उसने कहा, “हे मेरे मित्र, चाहे आप सुनें या ना सुनें, परन्तु मेरे दिल में जो बात है, उसे मैं बताऊँगा जरूर” – और फिर उसने मन लगाकर यीशु के बारे में बताया, और पुनः उसने उस आदमी से निवेदन किया कि वह उसके साथ प्रार्थना करे | इस बार उस आदमी ने उत्तर दिया – “यदि इससे तुम्हें तसल्ली मिलती है, तो फिर प्रार्थना करो |” तब हडसन टेलर ने अपने घुटने टेके और उस आदमी के उद्धार के लिए प्रार्थना की | और – परमेश्वर ने उत्तर दिया | उस दिन के बाद, वह आदमी सुसमाचार सुनाने के लिए उत्सुक रहने लगा, और कुछ ही दिनों में, उसने प्रार्थना करके प्रभु यीशु पर विश्वास किया |

हडसन टेलर के संस्मरण:     

1.  चीन में मेरी सेवा के आरंभिक दिनों में जब अक्सर परिस्थितियाँ मुझसे कहती थीं कि सफलता की कोई आशा नहीं, तब मैं इस आदमी के उद्धार के बारे में सोचता था, और फिर वचन बताने की दृढ़ता के लिए उत्साहित हो जाता था, चाहे लोग सुने या फिर अनसुना कर दें |

2.  संभवत यदि हममें आत्माओं के लिए वैसी तीव्र हताशा होगी जो आँसू की ओर ले जाता हो, तो हमें हमारे वांछित परिणाम अक्सर देखने को मिलेंगे | कई बार यह हो सकता है कि हम शिकायत कर रहे हों कि हम जिनका लाभ चाह रहे हैं, उनके ह्रदय कठोर हैं, परन्तु वास्तविकता यह हो कि हमारे स्वयं के ह्रदय की कठोरता और अनन्त बातों की गंभीर वास्तविकताओं के प्रति हमारी कमजोर समझ ही हमारी सफलता में कमी के पीछे का सच्चा कारण हो |

नर्क की वास्तविकताओं पर हम जितना अधिक विचार करेंगे, खोए हुओं को सुसमाचार सुनाने के लिए हम उतने ही विवश होंगे |  

गैर मसीहियों के लिए प्रभाव |

यदि आप मसीही नहीं हैं तो फिर आपके लिए केवल 1 ही प्रभाव है: आपको आनेवाले क्रोध से भागना है (मत्ती 3:7) | नर्क जाने के लिए ज्यादा कुछ करने की आवश्यकता नहीं है | बस, आप जैसे जी रहे हैं, वैसे ही जीते रहें | यीशु मसीह का तिरस्कार करते रहें | अपने पापों से मन फिराने से इंकार करें | नि:संदेह आप नर्क ही जायेंगे | 

हे मित्र, क्या आप यही चाहते हैं ? आपके द्वारा नर्क के अस्तित्व में विश्वास न करने के कारण मात्र से ही नर्क का अस्तित्व समाप्त नहीं हो जायेगा | नर्क एक वास्तविक स्थान है | इसीलिए लूका 13:3 में यीशु मसीह ने स्वयं यह चेतावनी दी, “यदि तुम मन न फिराओगे तो तुम सब भी इसी रीति से नाश होगे |” इस जीवन के पश्चात, कोई दूसरा मौका नहीं है | इब्रानियों 9:27 में लिखा है, मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है | जब प्रभु यीशु दुबारा आयेंगे, तो उन सबका न्याय करेंगे जिन्होंने उसे ठुकराया है, और अपने लोगों को अपने साथ ले जायेंगे ताकि वे सदा उसके साथ रहें | उस समय, मन फिराने के लिए बहुत देर हो चुकी होगी | निर्णय लेने का समय, अभी है |

प्रिय मित्र, इन कड़वी सच्चाईयों को कहने में मुझे कोई खुशी नहीं है |  परन्तु, चेतावनी के इन शब्दों को सुनना आपके लिए आवश्यक है | इसलिए, कृपया अपने पापों से मन फिरायें और विश्वास में होकर यह मानते हुए यीशु की ओर मुड़ें कि केवल उसी ने ही पापों की कीमत चुकाई है और पुनः जी उठा है | आज यीशु की ओर दौड़कर नर्क से बच जायें | अब और खेलकूद नहीं ! अब और देर नहीं !  अब और बहाने नहीं ! आज ही उसके पास आ जायें ! अपने पापों से मन फिराने और यीशु पर विश्वास करने का, यही समय है | “समय पूरा हुआ है, और परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है; मन फिराओ और सुसमाचार पर विश्वास करो” (मरकुस 1:15) | वह आपको स्वीकार करेगा – इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने कितना पाप किया है | वह आपको एक नया ह्रदय देगा, बस आपको उसे पुकारना है | वह पवित्र आत्मा को भेजेगा ताकि वह आपके अन्दर निवास करे और मसीही जीवन जीने में आपकी सहायता करे | इसलिए, कृपया देर न करें ! आईये!

मैं पुराने समय के एक विश्वासयोग्य ब्रिटिश प्रचारक चार्ल्स स्पर्जन द्वारा नर्क की भयावहता के संबंध में कहे गये इन शब्दों के साथ अपनी बातों को विराम देता हूँ:

नर्क में एक वास्तविक आग है, उतना ही वास्तविक, जितना आपके पास एक वास्तविक शरीर है – ठीक उसी प्रकार की आग जिस प्रकार की हम धरती पर पाते हैं, अंतर केवल इतना है; हालाँकि यह आपको घोर यातना देगा तौभी यह आपको जलाकर राख नहीं करेगा | आपने लाल गर्म कोयलों के मध्य एसबेस्टस सीमेंट के तख्तों को पड़े हुए देखा होगा, वे जलकर भस्म नहीं होते हैं | इसी प्रकार, आपका शरीर भी परमेश्वर द्वारा इस तरह से तैयार किया जायेगा कि वह सदाकाल तक जलता रहे परन्तु भस्म न हो | धधकती लपटें आपकी नसों को झुलसाकर रख देंगीं, तौभी यह नहीं होगा कि वे कभी असंवेदनशील होकर इन लपटों के तीव्र गर्मी को महसूस न करें और जलते हुए सल्फर की उठती लपटों से निकलता हुआ अम्लीय धुँआ आपके फेफड़ों को झुलसायेगा और आपका दम घुटेगा, आप मौत की भीख मांगेंगे, परन्तु मौत नहीं आयेगी, नहीं आयेगी, नहीं आयेगी, कभी नहीं आयेगी |      

 

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