क्या आप एक सच्चे मसीही ( ईसाई ) हैं या फिर एक “लगभग” मसीही ( ईसाई ) ?

Posted byHindi Editor April 4, 2023 Comments:0

(English Version: Are You A Real Christian Or An Almost A Christian)

26 फरवरी 1993 को न्यूयार्क शहर के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के तलघर पार्किंग गैरेज में एक शक्तिशाली बम विस्फोट हुआ, जिसमें छ: लोग मारे गए और हजार से भी अधिक लोग घायल हुए| तगड़ी जाँच-पड़ताल शुरू हुई और कई लोग गिरफ्तार किए गए| परन्तु व्यवस्था-प्रभारी अधिकारियों में से अत्यंत कम लोगों ने ही इसे एक अतंर्राष्ट्रीय आतंकवादी षडयंत्र के रूप में देखा|

जब वर्ष 2001 में आतंकवादियों ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर टावर्स को तबाह कर दिया, तब पुलिस कमिश्नर रेमण्ड केली ने प्रथम आक्रमण को देखते हुए टिप्पणी दी, ” अमेरिका को इसे एक खतरे की घंटी के रूप में लेना चाहिए था|”

मत्ती 25:1-13 के दृष्टांत में प्रभु यीशु मसीह इससे भी कहीं गंभीर खतरे की घंटी बजाते हुए दिखाते हैं| उस दृष्टांत में वे प्रत्येक उस व्यक्ति से जो स्वयं को मसीही मानता है एक गंभीर और आत्म-परीक्षण करने वाला प्रश्न पूछते हैं,”क्या आप एक सच्चे मसीही (ईसाई) हैं या फिर एक ‘लगभग’ मसीही (ईसाई) ?” जब हम इस दृष्टांत पर मनन करते हैं, तो होने पाए कि  हम इस प्रश्न की गंभीरता को अपने ह्रदय में बसा लें और उचित प्रतिक्रिया दें| 

दृष्टांत की व्याख्या:

दृष्टांत, दैनिक जीवन की घटनाओं से प्रेरित वे कहानियाँ हैं , जिनका प्रयोग आत्मिक सच्चाईयों को सिखाने के लिए किया जाता है | यह दृष्टांत एक ऐसे दूल्हे की कहानी है जो अपनी दुल्हन से विवाह करने और उसे अपने साथ अपने घर ले जाने के लिए आ रहा है | उस समय की परम्परा के अनुसार, दुल्हन की सखियाँ दूल्हे का स्वागत करती थीं और तत्पश्चात उसे पहरे के साथ दुल्हन के घर ले जाती थीं | दूल्हा का आना रात को भी हो सकता था इसीलिए दुल्हन की सखियाँ अपने साथ रोशनी प्रदान करने के लिए लैंप ले जथे थीं |

अब इस दृष्टांत में दूल्हा मध्यरात्रि को आता है | दुल्हन की कुल दस सखियाँ दूल्हे का स्वागत करने और उसे दुल्हन के घर ले जाने के लिए प्रतीक्षा कर रही हैं | पाँच के पास लैंपऔर तेल दोनों हैं जबकि अन्य पाँच के पास लैंप तो हैं परन्तु उन्हें जलाने के लिए तेल नहीं है | जिनके पास तेल था वे दूल्हे के साथ विवाह-भोज  में गईं | परन्तु जिनके पास तेल नहीं था उन्हें बहुत याचना के बावजूद विवाह-भोज में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गयी | 

इस दृष्टांत में दूल्हा मसीह को दर्शाता है | जिन बुद्धिमान कुवाँरियों (दुल्हन की सखियों ) के पास तेल था वे उन सच्चे मसीहियों को दर्शाती हैं जो मसीह से मिलने के लिए तैयार हैं| पाँच मूर्ख कुवाँरियाँ जिनके पास तेल नहीं था उन झूठे मसीहियों को दर्शाती हैं जो मसीह से मिलने के लिए तैयार नहीं हैं और इस कारण से वे स्वर्ग से बाहर रखे जाने के खतरे मे हैं |

इस दृष्टांत की मुख्य शिक्षा का सारांश पद 13 में दिया गया है, “इसलिए जागते रहो,क्योंकि तुम न उस  दिन को जानते हो, न उस घड़ी को |” दूसरे शब्दों में कहें तो, “आज ही प्रभु से मिलने को तैयार रहो | क्योंकि वह समय आ रहा है जब पापों की क्षमा पाना असंभव हो जायेगा | एक बार जब आप इस पृथ्वी को छोड़ देंगे तो स्वर्ग में प्रवेश करने का कोई दूसरा अवसर नहीं होगा!”

दृष्टांत का अनुप्रयोग:

इस दृष्टांत से हम तीन व्यावहारिक सत्यों को सीख सकते हैं|

सत्य#1 : संभव है कि कोई व्यक्ति बाहर से मसीह को माने परन्तु उसके अन्दर मसीह न हो | बुद्धिमान कुवाँरियों और मूर्ख कुवाँरियों के मध्य कई समानताएं थीं | दोनों ही के पास लैंप थीं और दोनों ही दूल्हे से मिलने की प्रतीक्षा में थे (मत्ती 25:1)| मूर्ख कुवाँरियाँ दूल्हे के आगमन के विरोध में नहीं थीं | ऐसा लग रहा था कि वे उनके आने का इंतजार कर रहे हैं |

इसी प्रकार से, अपने आप को मसीही मानने वाले कई लोग भी यह दावा करते हैं कि वे प्रभु यीशु के आगमन की आशा रखते हैं- परन्तु वे उससे मिलने के लिए सही रीति से तैयार नहीं हैं | जब दूल्हे के आने में विलंब होने लगा तो, बुद्धिमान कुवाँरियाँ और मूर्ख कुवाँरियाँ दोनों ही सो गईं |

बुद्धिमान कुवाँरियाँ सुरक्षा से भरकर सो रही थीं | वे उन सच्चे विश्वासियों को दर्शाती हैं जो मसीह के साथ एक सही संबंध होने के कारण एक वास्तविक सुरक्षा को रखते हैं | 

मूर्ख कुवाँरियाँ भी सुरक्षा से भरकर सोते प्रतीत होती हैं | तथापि, ये उन झूठे विश्वासियों को दर्शाती हैं जो अपने ह्रदय द्वारा धोखा में रखे गए हैं, और एक झूठे सुरक्षा में जी रहे हैं | वे सोचते थे कि वे मसीह से मिलने के लिए तैयार थे क्योंकि वे कलीसिया जाते थे, कई प्रकार के बाह्य “मसीही” गतिविधियों में संलग्न थे, और अन्य मसीहियों के साथ उठते-बैठते  थे | दु:खद सच्चाई यह है कि उन्होंने कभी अपने पापों से सच्चा पश्चाताप किया ही नहीं था और इस कारण से मसीह में नया जन्म का अनुभव उन्हें कभी नहीं मिला था |

झूठे मसीहियों के जीवन में कई विशेष पहचान चिन्ह होते हैं|

• परमेश्वर के बारे में उनका दृष्टिकोण गलत होता है : परमेश्वर सब प्रेम है और प्रेम के सिवा कुछ भी नहीं | वह मुझे कभी भी नहीं निकालेंगे| जब मैं उसके सम्मुख खड़ा होऊँगा तो उसे मना ही लूंगा कि वह मुझे स्वर्ग में प्रवेश करने दे | यह मूर्ख कुवाँरियों का दृष्टिकोण था, इसका प्रमाण यह था कि उन्होंने याचना की, “हे स्वामी,हे स्वामी हमारे लिए द्वार खोल दे!” (मत्ती 25:11)

जबकि ईश्वर प्रेम है, वह केवल प्रेम नहीं है| वह साथ ही साथ पवित्र और न्यायी भी है | उसने अपने वचन में प्रतिज्ञा किया है की वह उन लोगों को दण्डित करेगा जो उसके पुत्र पर विश्वास नहीं रखते (यूहन्ना 3:18) | अपने वचन के विपरीत कुछ भी करना परमेश्वर को झूठा बनायेगा – और यह एक असंभव बात है !

• पाप के बारे में उनका दृष्टिकोण गलत होता है : झूठे मसीही अपने द्वारा अपने पाप को स्वीकार कर लेने को ही सच्चा मन परिवर्तन मान बैठते हैं | हालाँकि सच्चे मन परिवर्तन से पूर्व पापों का मानना आता है तौभी यह संभव है कि पापों को मानने के पश्चात भी सच्चा मन परिवर्तन न हुआ हो |

यहूदा,  फेलिक्स और एसाव ने अपने पाप को स्वीकारा था तौभी उनका उद्धार नहीं हुआ था (मत्ती 27:3-5; प्रेरितों के काम 24:25; इब्रानियों 12:16-17) | अपने पापों के प्रति बुरा मानना मात्र ही इस बात का प्रमाण नहीं है कि कोई व्यक्ति मसीही है | यदि वह दुःख एक व्यक्ति को पाप से मन फिराकर दया के लिए प्रभु यीशु के चरणों में न गिराए तो फिर वह दुःख झूठा दुःख हैऔर यह मात्र अनंत विनाश की और ले जायेगा (2 कुरुन्थियों 7:9-10)

• संसार के बारे में उनका दृष्टिकोण गलत होता है : झूठे मसीहियों में संसार और संसार की सुख-सुविधाओं के प्रति दीवानगी होती है | वे इस बात को नहीं समझते हैं कि मसीह संसार में निवास करने के कार्य को गलत नहीं ठहराते हैं बल्कि संसार का उनमें निवास करने को गलत ठहराते हैं !

1 यूहन्ना 2:15 से अवगत होने के बाद भी,जहाँ लिखा है, “तुम न तो संसार से और न संसार की वस्तुओं से प्रेम रखो | यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उसमें परमेश्वर का प्रेम नहीं है ”, उनका जीवन सांसारिक अभिलाषाओं की पूर्ति करने की व्यस्तता में गुजरता है | और यदि वे सांसारिक वस्तुओं का पीछा करने में व्यस्त नहीं रहते हैं तो उनके बारें में स्वप्न देखने में व्यस्त रहते हैं | वे संभवत: सोचते हैं कि मात्र उन पर ही यह आज्ञा लागू नहीं होती, “तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते” (मत्ती 6:24) | वे कितने धोखे में हैं !

• दूसरों से प्रेम करने के बारे में उनका दृष्टिकोण गलत होता है : कुछ गिने चुने लोगों से ही प्रेम करना झूठे मसीहियों की पहचान है- वे केवल उनसे प्रेम करते हैं जो उनसे प्रेम करते हैं | मसीही होने का दावा करने वाले कई लोगों को दूसरों के प्रति वर्षों से भयानक कड़वाहट का प्रदर्शन करते हुए देखना आश्चर्यजनक और दु:खद  लगता है | यह कड़वाहट उनके जीवन साथी के प्रति, परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति, कलीसिया के अन्य सदस्यों के प्रति,सहकर्मियों के प्रति,पड़ोसियों इत्यादि के प्रति हो सकता है | उनकी सामान्य सोच यह होती है, “मैं ऐसे तो सबसे प्रेम रखता हूँ | ये कुछ अमुक लोग हैं जिनसे मैं प्रेम नहीं रख सकता | आख़िरकार ये वे लोग हैं जिन्होंने मुझे गहरी चोट पहुंचाई है |”

हालांकि वचन स्पष्टता से कहता है कि मसीही होने का दावा करने वाले किसी भी व्यक्ति में बैर का स्वभाव नहीं होना चाहिए | 1 यूहन्ना 4:20-21 कहता है, यदि कोई कहे, ‘मैं परमेश्वर से प्रेम रखता हूँ,’ और अपने भाई या बहन से बैर रखे तो वह झूठा है;क्योंकि जो अपने भाई या बहन से जिसे उसने देखा है प्रेम नहीं रखता ,तो वह परमेश्वर से भी जिसे उसने नहीं देखा प्रेम नहीं रख सकता| उससे हमें यह आज्ञा मिली है, की जो कोई परमेश्वर से प्रेम रखता है वह अपने भाई से भी प्रेम रखे |”1 यूहन्ना 3:13-15 और 1 यूहन्ना 4:7-8 भी इसी विषय पर शिक्षा देता है| 

इस प्रकार से यह संभव है कि  कोई व्यक्ति पाँच मूर्ख कुवाँरियों के समान बाहर से मसीह को माने परन्तु उसके अन्दर मसीह न हो | इसीलिए हम सबको अपने आपको यह देखने के लिए जाँचना चाहिए कि हम मात्र दावा करने वाले लोग हैं या अनन्त जीवन के वास्तविक अधिकारी हैं|

सत्य#2 : उद्धार को स्थानांतरित या साझा नहीं किया जा सकता | जब दूल्हा आ पहुँचा तब मूर्ख कुवाँरियों को स्मरण आया की उनके पास तेल नहीं था | उन्होंने तुरंत बुद्धिमान कुवाँरियों से तेल माँगा, “अपने तेल में से कुछ हमें भी दो,क्योंकि हमारी मशालें बुझी जा रही हैं|” इसका उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, “नहीं, कदाचित यह हमारे और तुम्हारे लिए पूरा न हो | तुम तेल बेचनेवालों के पास जाकर अपने लिए मोल ले लो (मत्ती 25:8-9) |

जब तक वे जातीं और अपने लिए तेल खरीद कर वापस आतीं बहुत देर हो चुकी थी | विवाह दल अन्दर जा चुका था,और द्वार बंद किया गया” (मत्ती 25:10) | मूर्ख कुवाँरियों को  बुद्धिमान कुवाँरियों के तैयारी के आधार पर अन्दर आने की अनुमति नहीं मिली | उन्हें दूल्हे के लिए व्यक्तिगत रूप से तैयार रहना था | दूसरे शब्दों में कहें तो, उद्धार, एक पापी व्यक्ति और प्रभु के मध्य होने वाला एक व्यक्तिगत कार्य है | इसे स्थानांतरित या साझा नहीं किया जा सकता- प्रत्येक व्यक्ति को प्रभु से मिलने के लिए व्यक्तिगत रूप से तैयार रहना होगा |

कई तथाकथित मसीही इन मूर्ख कुँवारियों के समान हैं | उन्हें लगता है कि इस बात को ध्यान में रखते हुए कि वे कौन सी कलीसिया से संबंध रखते हैं, या फिर उनके माता-पिता के मसीही होने के कारण या फिर उनके जीवनसाथी के मसीही होने के कारण परमेश्वर उन्हें स्वर्ग में आने देगा | अपने आप को धोखा देने वाले  ऐसे लोगों को प्रभु यीशु मसीह स्वयं ही इन शब्दों में चेतावनी देते हैं, “यदि तुम मन न फिराओगे तो तुम सब भी इसी रीति से नष्ट होगे” (लूका 13:3) यूहन्ना 3:3 में वे उनके द्वारा कहे गए ये वचन इस बात की पुन: पुष्टि करते हैं कि उद्धार एक व्यक्तिगत अनुभव है, “मैं तुम से सच सच कहता हूँ, कि कोई परमेश्वर का राज्य तब तक नहीं देख सकता, जब तक उसका नया जन्म न हो|” 

आईए हम अपने जीवन को जाँचे | क्या स्वर्ग में प्रवेश के लिए हम किसी कलीसिया,मित्र या अपने माता-पिता के साथ अपने संबंध पर निर्भर हैं ? यदि ऐसा है, तो हम धोखे में हैं | जब तक हम स्वयं अपने पापों को मान न लें, पश्चाताप न करें और छुटकारे के लिए मसीह की ओर न मुड़ें तब तक, हमारा उद्धार नहीं हो सकता |

सत्य # 3: मसीही विश्वास आजीवन दृढ़ता की माँग करता है | भले ही दूल्हे ने उसके आने में देर कर दी, बुद्धिमान कुँवारियाँ उसके किसी भी क्षण आने के लिए तैयार थीं| यद्यपि दूल्हा एक अनापेक्षित समय (मध्यरात्रि ) को आया (पद 6), तौभी वे तैयार थीं | यह इस बात को दर्शाता है की मसीहियों को अपने विश्वास में अंत तक दृढ रहना  चाहिए | 

मसीह हमें “कभी-कभार” या “सुविधानुसार” प्रकार की आज्ञाकारिता के प्रदर्शन के लिए नहीं बुलाता है | जब हम मसीह के पास आते हैं तो फिर यह उसके पीछे चलने का एक आजीवन संकल्प है- फिर चाहे इसके लिए हमें अपने प्राणों की हानि ही क्यों न उठाना पड़े |

दुःख के साथ कहना पड़ता है कि आज कई लोग मसीह को और उसके उद्धार की बुलाहट को एक “नरक-बीमा” योजना से बढ़कर और कुछ नहीं समझते – स्वर्ग जाने का टिकट,जिसमें भौतिक आशीषों के सिवाय कुछ भी नहीं है ! इसमें कोई अचरज की बात नहीं कि भौतिक आशीर्वाद की प्रतिज्ञा देने वाला समृद्धि सुसमाचार (Prosperity Gospel), हमारी पीढ़ी को इतना आकर्षित करता है ! स्वयं का इंकार करने के सन्देश को, क्रूस उठाने के सन्देश को आज कई कलीसियाओं में भी उतना पसंद नहीं किया जाता | तौभी,यही मसीह का सन्देश था और आज भी है !

प्रभु यीशु मसीह हमें संकीर्ण द्वार से प्रवेश” करने के लिए बुलाते हैं क्योंकि “चौड़ा है वह फाटक और विस्तृत है वह मार्ग जो विनाश को पहुँचाता है” और “छोटा है वह फाटक और संकीर्ण है वह मार्ग जो जीवन को पहुँचाता है”(मत्ती 7:13-14) | ध्यान दीजिए कि  न केवल प्रवेश द्वार संकरा है, बल्कि साथ ही साथ मसीह का मार्ग भी संकरा है | यह इस बात को दर्शाता है कि मसीही जीवन एक चुनौतीपूर्ण जीवन है जो आजीवन दृढ़ता की माँग करता है | 

सच्चे मसीही प्रभु यीशु के पीछे चलने की कीमत को समझते हैं | इसीलिए वे पाप,शैतान और संसार के साथ अविराम युद्ध के बावजूद दृढ़ रहते हैं | पाप करने पर वे सच्चे पश्चाताप के साथ वापस लौटते हैं | वे इस बात को जानते हैं कि पाप उनके उस प्रभु को शोकित करता है जो उनके पापों के लिए क्रूस पर मरा और इसीलिए वे पाप में शान्ति से पड़े नहीं रहते | जिस पाप के लिए उनके उद्धारकर्ता ने ऐसी भारी कीमत चुकाई उस पाप में आनंद करने और बने रहने का विचार मात्र  ही उनके लिए नितान्त डरावनी बात होती है !

कृपया मुझे गलत न समझें; मैं यह नहीं  कह रहा हूँ कि कोई व्यक्ति अपने दृढ़ता के कारण उद्धार पाता है | मैं बाईबल की इस सच्चाई पर पूर्णत: विश्वास करता हूँ कि उद्धार केवल अनुग्रह से है और यह मिलता है केवल विश्वास करने से और यह विश्वास होना चाहिए केवल मसीह पर (यूहन्ना 6:47; इफिसियों 2:8-9; तीतुस 3:5) | कोई भी व्यक्ति अपने विश्वास में दृढ़ता के कारण उद्धार नहीं पाता है | दृढ़ता, उद्धार का कारण नहीं है बल्कि यह वास्तविक उद्धार का परिणाम है !

आईये हम अपने जीवन को जाँचे | क्या हम दृढ़ रहने वाले मसीही हैं – फिर चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों ?

अंतिम विचार:

आज, मसीही होने का दावा करने वाले कई लोग पूछते हैं, “मैं संसार के कितना पास जा सकता हूँ और मसीही बना रह सकता हूँ ?” प्रभु यीशु मसीह ने स्पष्ट बताया कि संभव है कोई व्यक्ति उसके अत्यंत पास आकर भी मसीही रहे | एक “लगभग” मसीही बनना, बहुत ही आसान बात है | जहाँ तक से वर्तमान समय की बात है, ऐसे किसी व्यक्ति को इससे अभी कोई हानि नहीं होती है ! 

तौभी आने वाले जीवन में ऐसे व्यक्ति को सब कुछ गँवाना पड़ेगा | न्याय के दिन यह जानना कितना दु:खद होगा कि एक सच्चे मसीही होने में और एक “लगभग” मसीही होने में कितना बड़ा अंतर है | यह अंतर तो स्वर्ग और नरक के मध्य के अंतर के समान विशाल है | 

आईये, सावधान हो जायें : लगभग  उद्धार पाने का अर्थ है निश्चित रूप से नाश होना | यह कथन कितना ही सार्थक है, “ नरक का मार्ग अच्छे इरादों के फर्श से सुसज्जित है “| प्रभु करे की ये शब्द हममें से किसी का वर्णन करने वाले शब्द न हों |

मूर्ख कुँवारियों को बहुत देर से समझ में आया| कृपया अपने आप को वैसी ही एक अवस्था में न डालें | यदि आपने अब तक नहीं किया है,तो अभी अपने पापों से फिरें,प्रभु यीशु से कहें कि वह आपको  क्षमा करे और अभी से ही आपको अपना चेला बना ले | वह तुरंत आपके प्रार्थना का उत्तर देगा | वह आपको अपना पवित्र आत्मा देगा जो आयेगा और आपमें निवास करेगा | पवित्र आत्मा ऐसा जीवन जीने में आपकी सहायता करेगा जैसा आप स्वयं की सामर्थ से नहीं जी सकते और अपने दृढ़ता के जीवन से आपको  भी पूर्ण आश्वासन मिलेगा कि आप एक सच्चे मसीही हैं |

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