“मैं यहोवा की बाट जोहता हूँ, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूँ, और मेरी आशा उसके वचन पर है “
भजनसंहिता 130:5

ऐसा कहा जाता है कि इस बात के लिए परमेश्वर की बाट जोहना ( प्रतीक्षा करना ) कि वह अपने उद्देश्यों को पूरा करे, हमारे द्वारा मसीही जीवन में सामना की जाने वाली सबसे बड़ी समस्या है; हमारे अन्दर कुछ तो ऐसा है जो बाट जोहने के स्थान पर गलत कार्य करना पसंद करता है | परन्तु, बाट जोहना भले ही कठिन बात जान पड़े, तौभी यह कई तरीकों में से एक तरीका है, जिसके द्वारा परमेश्वर हमें परिवर्तित करता है कि हम और भी अधिक उसके पुत्र, यीशु मसीह के समान हो जायें | भजन संहिता 130 में भजनकार परमेश्वर के वचन पर भरोसा रखते हुए परमेश्वर के छुटकारे के लिए आशा से भरकर धीरज के साथ बाट जोहता है | आईए, हम उसके उदाहरण का अनुकरण करें | उसी उद्देश्य की प्राप्ति को ध्यान में रखते हुए, इस ब्लॉग का लक्ष्य लोगों की सहायता करना है ताकि वे पवित्र आत्मा की सामर्थ से परमेश्वर के वचन के द्वारा ताकत पाकर आशा में होकर धीरज के साथ बाट जोहें

परमेश्वर का नाम महिमा पाये !

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